Wednesday 20 January 2016

शिव मंदिर निर्माण नही करा पाने का पश्चाताप , साइकिल से बारह ज्योतिर्लिंग का दर्शन से पूरा कर रहे उदय


अशोक प्रियदर्शी
बात आठ साल पहले की है। बिहार के नवादा जिले के सिरदला प्रखंड के रवियो गांव में खुदाई के दौरान एक शिवलिंग निकला था। ग्रामीणों ने उस स्थल पर मंदिर निर्माण कराने का निर्णय लिया था। इसकी अगुआई के लिए ग्रामीण उदय प्रसाद को चुना गया। ग्रामीणों ने उदय को मंदिर निर्माण में सहयोग करने का आश्वासन दिया था। उदय प्रसाद पूरी निष्ठा और आस्था से मंदिर निर्माण में जुड़ गए थे।
लेकिन कालांतर में ग्रामीण पीछे हटते चले गए। उदय की आर्थिक हैसियत ऐसी नही थी कि वह मंदिर निर्माण का खर्च स्वयं वहन कर सकें। क्योंकि वह साधारण किसान हंै। फिर भी जरूरी खर्च में कटौती कर उदय मंदिर का निचला ढांचा का निर्माण करा सके। लंबे इंतजार के बाद उदय को जब महसूस हो गया कि मंदिर निर्माण कराना अब उनके बस की बात नही।
तब डेढ़ माह पहले उदय ने देश के बारह ज्योर्तिलिंग का दर्शन करने का निर्णय लिया। विगत साल 25 नवंबर को साइकिल से ज्योतिर्लिंग दर्शन के लिए रवाना हुआ। शुरूआत झारखंड के बैजनाथधाम से किया। फिर आंध्रप्रदेश के श्रीशैल पर्वत पर स्थित मलिकार्जुन, तमिलनाडु के रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का दर्शन किया। 17 जनवरी को उदय महाराष्ट्र के भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का दर्शन किया है।


कौन है उदय प्रसाद
      45 वर्षीय उदय प्रसाद नवादा जिले के सिरदला प्रखंड के रवियो गांव निवासी राजेन्द्र यादव के पुत्र हैं। वह चार भाई है। उनके संयुक्त परिवार में छह विगहा जमीन है। उनके परिवार में कुल 25 सदस्य हैं। उदय के दो पुत्र और एक पुत्री है। सबसे बड़ी बेटी है जिसका उम्र 13 साल है।

कैसे संभव हो रहा ज्योतिर्लिंग दर्शन-
      उदय प्रसाद के मात्र 8500 रूपए है। उदय का सफर में कोई खर्च नही है। वह साइकिल से सफर कर रहे हैं। उदय का खर्च सिर्फ खाने में है। ज्यादातर मठ मंदिर में ठहर जाते हैं। हालांकि बीच बीच में गांववाले भी उदय को ठहरने और खाने का बंदोवस्त कर दिया करते हैं।

बारह ज्योतिर्लिंग कौन है-
             हिन्दू धर्म पुराणों के अनुसार शिवजी जहाँ-जहाँ स्वयं प्रगट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। सौराष्ट्र प्रदेश (काठियावाड़) में श्रीसोमनाथ, श्रीशैल पर श्रीमल्लिकार्जुन, उज्जयिनी (उज्जैन) में श्रीमहाकाल, ओंकारेश्वर अथवा अमलेश्वर, वैद्यनाथ, डाकिनी नामक स्थान में श्रीभीमशङ्कर, सेतुबंध पर श्रीरामेश्वरम, दारुकावन में श्रीनागेश्वर, वाराणसी में श्रीविश्वनाथ, गौतमी (गोदावरी) के तट पर श्री त्र्यम्बकेश्वर, केदारखंड में श्रीकेदारनाथ और शिवालय में श्रीघुश्मेश्वर। धार्मिक मान्यता है कि जो मनुष्य प्रतिदिन इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेता है उनके सातों जन्म का पाप मिट जाता है।

कहा कहते हैं 
  उदय कहते हैं कि द्वाद्वश ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बाद वह गांव लौटेंगे। मंदिर नही बना पाने का पश्चाताप ज्योतिर्लिंग के दर्शन से पूरा करना चाहते हैं।

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