Tuesday 12 January 2016

साइकिल से टूटा और किताब से जुड़ गया नाता



अशोक प्रियदर्शी
बात 39 साल पहले की है। नवादा जिले के हिसुआ के मिथिलेश कुमार सिन्हा साइकिल सिखने के लिए गए थे। पहले ही दिन वह साइकिल से गिर गए। इसके कारण कई जगह खरोंच और चोट लगी थी। दादाजी ने उन्हें कड़ी फटकार लगाई थी। उसके बाद सिन्हा ने साइकिल सिखने का इरादा बदल दिया। उन्होंने किताबों से नाता जोड़ लिया। उस साहित्य अनुराग का नतीजा है कि राज्य के जिन सात शिक्षकों को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाएगा, उनमें सिन्हा भी हैं। पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी श्री सिन्हा को राष्ट्रीय अध्यापक सम्मान से सम्मानित करेंगे। इसके पहले 2014 में सिन्हा को राजकीय सम्मान दिया गया था।
  मिथिलेश सिन्हा हिसुआ स्थित प्रोजेक्ट मुनक्का फुलचंद साहू कन्या उच्च माध्यमिक विधालय के प्रभारी प्राचार्य हैं। करीब तीन दशक तक शिक्षक के रूप में विधालय को सेवा दे रहे हैं। हालांकि शिक्षक का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है। 5 सितंबर 1983 को शिक्षक के रूप में योगदान किया था। लेकिन लंबे समय तक मामूूली मानदेय पर काम करते रहे। 29 अप्रैल 1997 को शिक्षा विभाग ने सेवा की मान्यता दी। पहली जनवरी से 1989 से भुगतान किया गया। सिन्हा मानते हैं कि उनकी शिक्षा में पिता विष्णु नारायण, मां कमलाचरण और दादा गुरूचरण लाल का अहम योगदान है। पिता और दादा शिक्षक थे। इसलिए उनका जीवन काफी अनुशासित रहा।

शिक्षा- दीक्षा
      50 वर्षीय मिथिलेश सिन्हा की शिक्षा दीक्षा साधारण तरीके से रही। उन्होंने हिसुआ हाइस्कूल से मैट्रिक, टीएस कॉलेज से अंग्रेजी विषय से बीए आनर्स किया। शिक्षक रहने के बावजूद 2008 में नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई की। यही नहीं, फरवरी 2015 में पृथक तेलांगना राज्य की मांग, समस्या, संभावनाओं का विश्लेषण विषय पर पीएचडी किया। साहित्य और सांस्कृतिक गतिविधियों से काफी दिलचस्पी रही है। सिन्हा के परिवार में उनकी पत्नी पूनम रानी सिन्हा के अलावा तीन संतान है। पुत्र दिव्यांशु मेडिकल की तैयारी कर रहा है जबकि योषिता और श्रृति आठवीं और दूसरी कक्षा की छात्र है।

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