Tuesday 12 January 2016

लाचार हुई आनंदी तो परिवार ने छोड़ा, योगा बना सहारा, अब औरों की बनी मददगार

अशोक प्रियदर्शी
         
 आठ साल पहले की बात है। नवादा नगर के गोला रोड की 65 वर्षीया आनंदी देवी शरीर से लाचार हो गई थी। वह गठिया-वाता, कमर दर्द, टयूमर, कब्जियत और पेट फेंकने जैसी कई गंभीर शारीरिक व्याधियों से घिर गई थी। चिकित्सक का नुस्खा भी काम नही आ रहा था। 85 किलोग्राम वजन था। चलना फिरना दुश्वार था। परिवार ने भी लाचार आनंदी से मुंह मोड़ लिया था। तिरस्कृत आनंदी परेशानियों से उबरने के लिए समीप के आर्य समाज मंदिर में जाने लगी थी। 
         तभी उन्हें पटना में आयोजित योग शिविर की जानकारी मिली। पति दीपनारायण प्रसाद के सहयोग से पटना में हफ्ते भर प्राणायाम और योगासन सीखी। उसे वह घर आकर भी बरकरार रखी। 27 मई 2010 में मुहल्ले में निःशुल्क योग शिविर शुरू हुआ। यह शिविर आनंदी के लिए काफी उपयोगी साबित हुआ। वह उस शिविर में 2 अक्तूबर से जाने लगी। आनंदी कहती हैं कि योगाभ्यास के कारण उनके जीवन की दशा और दिशा बदल दी। योगासन और प्राणायाम से 33 किलोग्राम वजन घट गया। बीमारियों से राहत मिली। चलने फिरने लगी। सबसे महत्वपूर्ण कि परिवार ने भी उन्हें अपना लिया।
         बहरहाल, आनंदी अब दूसरों की प्रेरणास्त्रोत बनी है। जो लोग आनंदी को मरनासन्न हाल में देखे थे, उनसबांे के सामने उनका स्वस्थ्य होना लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया। मुहल्ले की मंजू देवी कहती हैं कि आनंदी देवी की हालत देखकर वह सिहर उठती थी। लेकिन अब वह उनकी योग गुरू हैं। उन्हें भी योगासन से काफी लाभ हुआ है। मंजू अकेली महिला नही हैं, जिन्हें योगासन लाभ हुआ है। उर्मिला देवी कहती हैं कि वह योग और प्राणायाम को बेकार की चीजें मानती थी लेकिन आनंदी की प्रेरणा से जब वह योगा से जुड़ी तो पुराना एलर्जी दूर हो गई है।

        मुहल्ले की वीणा देवी, सरिता आर्या, मणिमाला देवी, चंपा देवी, पुष्पा देवी, सविता आर्या, ज्योति देवी, स्टेशन रोड की द्रोपदी देवी, विधा देवी, सकुन्तला देवी जैसी कई महिलाएं हैं, जो आनंदी की प्रेरणा से योगाभ्यास से जुड़ीं। अब उन महिलाओं के लिए आनंदी मददगार बनी है। स्टेशन रोड निवासी गोपालजी कहते हैं कि आनंदी देवी उनके लिए भी प्रेरणास्त्रोत रही हैं। शिविर के संचालक कन्हैया सिंह कहते हैं कि आनंदी जब आयी थी तब वह लाचार थी। लेकिन अब वह लाचार लोगों की मददगार बनी हुई है। वह कहती हैं कि जिन परिस्थितियों से वह गुजरी उन परिस्थितियों से औरों को नही गुजरना पड़े इसलिए दूसरों को योगाभ्यास के लिए प्रेरित करती रहती हूं।

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