Saturday 23 January 2016

रूकमिनी साड़ी में छिपाकर बचा ली थी नेता जी का जारी नोट, रूकमिनी परिवार के लिए है बड़ी थाती

अशोक प्रियदर्शी
          
      नेताजी सुभाष चंद्र बोस का सहयोग करने के कारण नवादा जिले के प्रयाग सिंह के कैंटीन को बंद करा दिया गया था। प्रयाग के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया गया था। प्रयाग परिवार को कोलकाता छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया था। यही नहीं, प्रयाग परिवार के साथ अत्याचार किया गया था। धरों की तलाशी ली गई थी। तलाशी में नेताजी द्वारा जारी नोट मिले थे। लिहाजा, प्रयाग दंपति के साथ मारपीट की गई थी। ताज्जुब कि प्रयाग की पत्नी राधा रूकमिनी ने एक हजार रूपए का नोट साड़ी में छिपाकर बचा लीं थी। बांके सिंह दादा प्रयाग सिंह से जुड़ी यादों को साझा कर रहे थे।

          बांके सिंह मानते हैं कि यह नोट देश की आजादी में उनके पुरखों के संघर्ष को दिखाता है। यह उनके परिवार के लिए सबसे बड़ी थाती है। इसे किसी कीमत पर खोना नही चाहते। यह नोट नेताजी के प्रमुख सहयोगी से दादाजी को मिला था। तब यह नोट गुलाम भारत में आजाद भारत की निशानी थी। इसे नेताजी ने जारी किया था। 
दरअसल, प्रयाग सिंह के परिवार पर कोलकाता के सीसीएफ आॅफिस परिसर में ब्रिट्रिश सैनिकों पर बम विस्फोट कराने के लिए जासूसी का आरोप था। आरोप था कि कैंटीन में बम विस्फोट की साजिश रची गई थी। इसमें प्रयाग और उनके भाई महावीर की भूमिका ने अदा की थी। हालांकि बम फेंका गया था, लेकिन विस्फोट नही हो सका। लेकिन ब्रिट्रिश सैनिक बौखला गए। क्योंकि ब्रिट्रिश सेना को आजाद हिंद फौज के हमले से बचाने के लिए फोर्ट बिलियम से हटाकर कोयला घाट स्थित सीसीएफ परिसर में ठिकाना बनाया गया था।

दरअसल, बिहार के नवादा जिले के नरहट प्रखंड के कुशा गांव निवासी प्रयाग सिंह और महावीर सिंह गुड़ का कारोबार करते थे। कारोबार मे मुनाफा नही था। इसलिए कोलकाता चले गए थे। कोलकाता मंे रेलवे मंत्रालय के कोयला घाट में कैंटीन खोला था। प्रयाग सिंह कैंटीन संभालते थे। जबकि महावीर सिंह समुद्री जहाज में चाय पिलाया करते थे। 

        तभी महावीर को रंगून में नेताजी की एक सभा में शामिल होने का अवसर मिला था। उसके बाद से महावीर आजाद हिंद फौज का सक्रिय सेनानी बन गए थे। महावीर अपने भाई के जरिए खुफियागिरी कराते थे। आजाद हिंद फौज के लोग कैंटीन में बैठा करते थे। बाद में महावीर सिंह की लड़ाई के दौरान मौत हो गई थी। लेकिन प्रयाग सिंह जुड़े थे।

        बांके सिंह के मुताबिक, दादा बताया करते थे कि उनपर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया गया था। हालांकि आजाद हिंद फौज बचाओ समिति के अध्यक्ष असरफ अली के नेतृत्व में उग्र विरोध हुआ था। तब मुकदमा उठा लिया गया था। बांके सिंह के पुत्र जीवनलाल चंद्रवंशी कहते हैं कि उनके दादा दादी का यह योगदान उन्हें आज भी साहस प्रदान करता है।
 

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