Tuesday 12 January 2016

पढ़ी लिखी महिलाओं को रास आ रही राजनीति


अशोक प्रियदर्शी
नवादा प्रसाद विगहा की पूनम शर्मा मनोविज्ञान में एमए हैं। रूरल गल्र्स की समस्याओं पर वह रिसर्च की हैं। उपभोक्ता फोरम की सदस्य हैं। पति अरविंद कुमार चिकित्सक हैं। पिता विजय शंकर शर्मा किसान हैं। भाई दिल्ली मेें पुलिस इंसपेक्टर हैं। ननिहाल में ज्यादातर एजुकेशन डिपार्टमेंट में कार्यरत हैं। लेकिन पूनम की राह अलग है। पूनम को राजनीति रास आ रही है। वह कहती हैं कि आर्थिक हैसियत ऐसी है कि साधारण तरीके से जीवन कट सकती है। लेकिन मैं इससे संतुष्ट नही हूं। मैं महिलाओं के उत्थान के लिए काम करना चाहती हूं। यह अवसर की मुझे बचपन से तलाश रही है। इसके जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ पहुंचाया जा सकता है। बता दें कि पूनम का ससुराल शेखपुरा जिले के रामपुर सिडांय है।
पूनम अकेली महिला नही हैं, जिन्हें राजनीति रास आ रही है। सिरदला की 26 वर्षीय पिंकी भारती का ही उदाहरण लें। पिंकी के पति रामकुमार भारती अपराध अनुसंधान विभाग में असिस्टेंट डायरेक्टर हैं। लेकिन पिंकी पिछले चार सालों से राजनीति में सक्रिय हैं। वह पंचायत समिति के चुनाव से अपने कॅरियर की शुरूआत की है। लेकिन अब विधानसभा चुनाव में दावेदारी कर रही हैं। वह कहती हैं कि उन्हें मालुम है कि महिलाओं के लिए राजनीति की राह आसान नही है। गैर राजनीतिक परिवार की महिलाओं के लिए मुश्किल है। लेकिन इस मुश्किल परिवेश में अपनी पहचान स्थापित करना ही उनके लिए चुनौती है। बता दें कि झारखंड के चिहुटिया निवासी शिक्षक वासुदेव चैधरी की बेटी है।

41 वर्षीय कुमारी ज्योति एमए डिग्रीधारी हैं। उनके पति शशिभूषण पटना आइजीएमएस में टेक्निकल आॅफिसर है। लेकिन ज्योति नवादा की राजनीति करना चाहती हैं। ज्योति कहती हैं कि राजनीति में महिलायें हाशिये पर है। इसके बावजूद महिलाएं घर की देहरी से बाहर नही आ पा रही है। इसके चलते महिलाओं के मुददे गौण हो जाते हैं। ज्योति कहती हैं कि महिलाओं को राजनीति में आगे आए बिना महिलाओं का उत्थान संभव नही  है। बता दें कि ज्योति नवादा जिले के रोह प्रखंड के ओहारी गांव की है। उनके पिता परमानंद सिंह रिटायर्ड कर्मचारी हैं। ज्योति का ससुराल नालंदा जिले के असतोपुर है। दोनों परिवार में काई भी राजनीति में नही हैं। लेकिन ज्योति ने राजनीति की ओर रूख किया है।
राजनीतिक पार्टियां महिला आरक्षण की बात करती रही है। लेकिन जब महिला को अवसर दिए जाने की बात आती है तब महिलाएं को भूल जाती है। गीता देवी कहती हैं कि लोग राजनीति को गंदगी मानते हैं। इसलिए महिलाएं राजनीति में नही आना चाहती हैं। लेकिन गंदगी को गंदगी से नही बल्कि अच्छाई से मिटाया जा सकता है। गीता नवादा जिले के काशीचक प्रखंड के डिहरी निवासी नवल किशोर सिंह की पुत्री हैं। पिता किसान हैं। गीता की शादी वारिसलीगंज के कोचगांव निवासी श्रवण सिंह से हुई। श्रवण का भी राजनीतिक परिवार नही रहा है। गीता ग्रेजुएट हैं। गीता कहती हैं महिलाओं को घर की देहरी से बाहर आने की जरूरत है। इसी से महिलाओं का भला हो सकता है। जिला परिषद के चुनाव में उनकी जीत इसी का नतीजा है।
अक्सर लोग चाहते हैं कि उनकी उम्र धीरे धीरे बढ़े। लेकिन नवादा के सदर प्रखंड के सोहजना गांव निवासी प्रेमा चैधरी को 25 साल का बहुत तेजी से इंतजार था। प्रेमा कम उम्र से ही चुनाव लड़ने की सोच रखती रही है। ग्रेजुएट प्रेमा कहती हैं कि उनका उम्र 25 साल हो गया है। अब वह चुनाव लड़ना चाहती है। कम उम्र में राजनीति का लगाव का नतीजा रहा कि वह जिला परिषद की चुनाव लड़ीं। लिहाजा, वह कम उम्र में अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज करने का रिकाॅर्ड दर्ज की है। वैसे प्रेमा के पिता आनंदी चैधरी साधारण व्यक्ति रहे हैं। लेकिन ससुररामकिशोर महथा बसपा से जुड़े नेता रहे हैं। पति धर्मेंद्र चैधरी सामाजिक कार्यकर्ता हैं।

पहली दफा विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमानेवालों की तादाद कम नही है। नरहट का आभा सिंह का ही उदाहरण लें। आभा के मायका गैर राजनीतिक रहा है। वह राजनीतिक रहा है। लेकिन आभा का ससुराल बड़ा राजनैतिक परिवार रहा है। आभा के ससुर आदित्य सिंह लंबे समय तक हिसुआ के विधायक रहे। उनकी सास उर्मिला देवी मुखिया रही। आभा और उनकी जेठानी नीतु कुमारी जिला पार्षद हैं। नीतु विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। लेकिन इस चुनाव में आभा भी उतरने को तैयार हैं।




पार्टियां रही है उदासीन
राजनैतिक दल महिलाआंे को टिकट देने में उदासीन रही है। 2010 के चुनाव में नवादा जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों में मात्र 15 फीसदी टिकट मिली है। इसमें बड़े दलों का निराशाजनक प्रदर्शन रहा है। यही वजह है कि पिछले 15 चुनावों में पांच विधानसभा क्षेत्र से 75 विधायक निर्वाचित हुईं। इसमें पन्द्रह दफा महिला को अवसर मिला। खास कि पांच ही महिलाओं को यह अवसर मिल सका है।  गायत्री देवी चार दफा, उनकी पुत्रवधू पुत्रवधू पूर्णिमा यादव तीन निर्वाचित हुई हैं। अरूणा देवी और राजकुमारी देवी दो-दो बार जबकि एक बार शांति देवी निर्वाचित हुई।

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