डॉ अशोक कुमार प्रियदर्शी
कर्नाटक के मैसूर में इतिहास पुनर्लेखन और गौरवशाली संस्कृति की रक्षा को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर तीन दिवसीय सेमिनार आयोजित हुआ। इतिहासकारों के सम्मेलन में नवादा के पत्रकार और श्रीकृष्ण मेमोरियल काॅलेज के हिस्ट्री डिपार्टमेंट के लेक्चरर डाॅ. अशोक कुमार प्रियदर्शी ने लेक्चर दिया। डाॅ प्रियदर्शी ने रेवरा आंदोलन में महिलाओं की संघर्षपूर्ण भूमिका पर पक्ष रखा। रेवरा गांव में जमींदारों के अत्याचार से पुरूष जब हार मान गए थे तब महिलाएं लाठियां उठा ली थी। इसके लिए डाॅ प्रियदर्शी को यूनिवर्सिटी आॅफ मैसूर के वीसी प्रो केपी रंगप्पा और अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली के अध्यक्ष डाॅ सतीश मितल ने सर्टिफिकेट दिया है।
यही नहीं, दो माह बाद मध्यप्रदेश के ग्वालियर में आयोजित हो रहे युवा इतिहासकारों के राष्ट्रीय सम्मेलन में डाॅ अशोक प्रियदर्शी बिहार का प्रतिनिधित्व करेंगे। एबीआईएसवाई के बिहार प्रभारी डाॅ. राजीव रंजन ने कहा कि बिहार से पांच युवा इतिहासकार सिरकत करेंगे, डाॅ प्रियदर्शी इसका प्रतिनिधित्व करेंगे।
डाॅ राजीव रंजन के मुताबिक, इतिहास को पुनव्र्याखित करने की जरूरत है। इतिहास पहले जो लिखा गया वह पूर्ण इतिहास नही है। यूरोपियों इतिहासकारों ने भारत के मजबूत पक्ष को नजरअंदाज किया है। गौरवशाली संस्कृति की रक्षा की जरूरत है। बता दें कि इस सम्मेलन में काॅलेज आॅफ काॅमर्स के प्रोफेसर डाॅ. राजीव रंजन, एसकेएम काॅलेज के डाॅ अशोक प्रियदर्शी, नालंदा काॅलेज की प्रो. मंजू कुमारी के अलावा इतिहासकार शैलेश कुमार, अरूण कुमार, हे गोयल, सत्येन्द्र कुमार आदि प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
क्या है रेवरा आंदोलन
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