Tuesday 12 January 2016

लावारिश लाशांे को कंधा देने आ गए वारिस,


अशोक प्रियदर्शी
बात एक माह पहले की है। 30 जुलाई को एक अधेड़ महिला गाड़ी से दुर्घटनाग्रस्त हो गई। जख्मी महिला को बेहोशी की हालत में सदर अस्पताल में दाखिल कराया गया था। लेकिन उस महिला की मौत हो गई। महिला की पहचान नही हो पाई थी। पहचान के लिए महिला की लाश को रखा गया। लाश दुर्गंध देने लगा था। लेकिन कोई पहचान का सामने नही आया। उस अज्ञात महिला की लाश का दाह संस्कार कराना पुलिस प्रशासन के समक्ष चुनौती थी। तभी नवादा नगर निवासी श्रवण कुमार वर्णवाल इस अज्ञात महिला के वारिश के रूप में सामने आए। फिर नवगठित नवादा जिला अज्ञात शव दाह संस्कार समिति ने उस महिला का नगर के बिहारी घाट में हिंदू रीति रिवाज से दाह संस्कार किया।
इसके बाद से इस समिति ने इस सामाजिक जिम्मेवारी को उठा लिया है। यही कारण है कि 35 दिनों के अंतराल मंें पांच अज्ञात लाशों का संस्कार किया गया। इस घटना के अगले ही दिन 31 जुलाई को ट्रेन से कटकर एक 65 वर्षीय महिला की मौत हो गई थी। इसकी पहचान के लिए दो दिनों तक रेलवे स्टेशन पर महिला की लाश पड़ी रही। लेकिन कोई जान पहचान का सामने नही आया। आखिर में इस समिति ने महिला का दाह संस्कार किया। इसके बाद से अज्ञात लाशों की चिंता समिति ने ले रखी है। प्रशासन को भी यह चिंता खत्म हो गई है। दुखद कि इनमें चार महिलाएं और एक बुजुर्ग हैं। जाहिर तौर पर कोइ न कोई इन सबों का परिवार होगा। कारण जो भी रही हो लेकिन ऐसे समय में कोई परिवार सामने नही आया।

कैसे बनी कमेटी
ईद को लेकर शांति समिति की बैठक थी। बैठक में एक सब इंसपेक्टर सुरेश प्रसाद सिंह ने सवाल उठाया था कि मुस्लिम समुदाय के अज्ञात शवों को अंतिम संस्कार के लिए कमिटी गठित है। लेकिन हिंदू समुदाय के अज्ञात शवों को संस्कार के लिए कोई सामने नही आता। वैसे सरकारी स्तर पर प्रयास किए जाते हैं, लेकिन जिन सफाईकर्मियों को यह दायित्व दिया जाता है, वह लाशों का अंतिम संस्कार ठीक से नही कर पाते हैं। तभी श्रवण कुमार वर्णवाल आदि ने पुलिस अधिकारी को आश्वस्त किया कि अब इसकी चिंता छोड़ दें। 26 जुलाई को नवादा जिला अज्ञात शव दाह संस्कार समिति का गठन किया गया। इसमें अनुमंडल पदाधिकारी राजेश कुमार संरक्षक बनाए गए। जबकि श्रवण कुमार वर्णवाल सचिव, डाॅ मनोज कुमार अध्यक्ष, राजेश कुमार मुरारी उपाध्यक्ष, पंकज कुमार सह सचिव और संदीप कुमार चुन्नू कोषाध्यक्ष हैं।

निः शूल्क किया जाता है दाह संस्कार
शव दाह संस्कार समिति सरकारी स्तर पर किसी तरह की आर्थिक मदद नही लेती है। श्रवण कुमार वर्णवाल ने कहा कि जनसहयोग से यह काम किया जा रहा है। लाशों को हिंदू रीति रिवाज से संस्कार किया जाता है। देवदार और आम की लकड़ियों के अलावा घी, पितंबरी और अच्छे कपड़े में संस्कार किया जाता है। जबतक लाशों का संस्कार नही हो जाता जबतक कमेटी के लोग मौजूद होते हैं। हालांकि सरकारी स्तर पर एक हजार रूपए का प्रावधान है। लेकिन यह राशि सफाईकर्मियों को दे दिया जाता है। राजेश कुमार मुरारी कहते हैं कि समिति ने सामाजिक दायित्व को निभाने की जिम्मेवारी स्वेच्छा से लिया है। इस काम से काफी संतुष्टि मिलती है।
35 दिनों में पांच लाशाों का किया गया दाह संस्कार
-30 जुलाई- वाहन दुर्घटना की शिकार अज्ञात महिला का सदर अस्पताल में मौत
-31 जुलाई- ट्रेन के चपेट में आने से हुई अज्ञात महिला की मौत
-12 अगस्त- सदर अस्पताल में इलाज के दौरान हुई अज्ञात महिला की मौत
-22 अगस्त- सवारी ट्रेन के बोगी से बरामद 70 वर्षीय अज्ञात बुजुर्ग का शव
-1 सितंबर- गारोविगहा रेलवे हाॅल्ट के समीप 55 वर्षीय अज्ञात महिला का शव

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