Tuesday 12 January 2016

नवादा विधानसभा रिपोर्ट्स

235/रजौली विधानसभा क्षेत्र/एससी सुरक्षित
रिपोर्टर का नाम/मोबाइल नंबर- अशोक प्रियदर्शी/मो. 9431417240.
विधानसभा क्षेत्र का नाम- 235/रजौली विधानसभा क्षेत्र (एससी सुरक्षित)
वर्तमान विधायक और उनकी पार्टी- कन्हैया कुमार, भाजपा
उनको कितने वोट मिले - 51020 
प्रतिद्वंद्वी कौन था - प्रकाशबीर, राजद
उनको कितने वोट मिले थे- 36930
कितने वोटों से जीत हार - 14090

-इस बार टिकटों की दौड़ में विधायक और पिछली बार के मुख्य प्रतिद्वंद्वी की क्या स्थिति है -इस बार भी भाजपा विधायक कन्हैया कुमार और उनके प्रतिद्वंद्वी राजद नेता प्रकाशबीर टिकट की रेस में है। हालांकि दोनों टिकट को लेकर आशंकित हैं। विधायक पर अनदेखी करने का आरोप है।
-इस चुनाव में विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख पार्टियों के प्रमुख दावेदार कौन, क्यों- इस चुनाव में भाजपा की ओर से विधायक कन्हैया कुमार के अलावा पूर्व विधायक बनवारी राम, भाजपा नेता अर्जुन राम, सत्येंद्र कुमार प्रमुख उम्मीदवार बताए जा रहे हैं। दूसरी तरफ, महागठबंधन से प्रकाशबीर के अलावा, पूर्व विधायक बनवारी राम, राजाराम पासवान, प्रेमा चैधरी, पिंकी भारती, राकेश कुमार आदि का नाम चर्चा में है। 
-इतिहास में आपके विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक किस पार्टी का विधायक रहा- रजौली विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक पांच दफा कांग्रेस पार्टी के विधायक निर्वाचित हुए हैं। 

-पहले आपके विधानसभा क्षेत्र से अब तक कितने विधायक रहे, कोई उल्लेखनीय हो तो उनका नाम- रजौली से 15 विधायक निर्वाचित हुए। 1967 में जब इस क्षेत्र को एससी के लिए सुरक्षित घोषित किया गया तो कांग्रेस नेत्री शांति देवी पहली महिला निर्वाचित हुईं। उसके बाद कोई महिला विधायक नही निर्वाचित हुईं। शांति देवी की ईमानदार और सादगी की छवि रही है। इस क्षेत्र से सर्वाधिक चार बार बनवारी राम और चार बार बाबूलाल चैधरी विधायक निर्वाचित हुए। हालांकि दोनों दल मे बंधे नही रहे हैं। 

-कौन से प्रमुख 3 चुनावी मुद्दे होंगे,् इन मुद्दों पर कितने सालों से राजनीति चल रही है, प्रमुख नेताओं को कब क्या वायदे किए- 
 -कचहरियाडीह गांव के पानी में फलोराइड की मात्रा अधिक है। शत प्रतिशत विकलांगता से ग्रसित हैं। डेढ़ दशक बाद भी स्थिति में सुधार नही। मेसकौर में सालों भर पेयजल की समस्या रहती है।
-रजौली में विस्थापितों की तीन दशक पुरानी समस्या है। फुलवरिया जलाशय के विस्थापितों को हरदिया में बसाया गया। लेकिन उन विस्थापितों को बुनियादी सुविधाएं नही उपलब्ध कराई गई। 
-फुलवरिया जलाशय से नहरों की निकासी की गई। लेकिन नहरों की ठीक ढं़ग से खुदाई नही किए जाने से क्षेत्र में सिचाईं की समस्या बरकरार है। 
-रजौली में परमाणु बिजली घर स्थापित किए जाने का मामला एक दशक पुराना है। फिर भी अनिश्चितता की स्थिति बनी है। 
-सीतामढ़ी में सीता की निर्वासन स्थली है। सप्तऋषि पठारी है। लेकिन पर्यटन विकास पर ध्यान नही दिया गया। 
-नेता चुनाव के पहले वादे करते रहे हैं, लेकिन अमल नही हुआ है। 

-ऐसी कोई खास समस्या य इश्यू. जो मुद्दा नहीं बनाए लेकिन क्षेत्र के लोगों को काफी प्रभावित करता है-
   -रजौली विधानसभा के करीब चार दर्जन ऐसे गांव हैं, जिन ग्रामीणों को रजौली प्रखंड मुख्यालय पहुंचने के लिए झारखंड के कोडरमा का 60 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ता है। लेकिन इस दिशा में किसी दलों ने दिलचस्पी नही दिखाई है।

कुल मतदाता- 235608
पुरुष मतदाता-125510
महिला मतदाता-110098
कुल मतदान-108415
मत प्रतिशत -46.01

किस मायने में खास है आपका विधानसभा क्षेत्र जैसे-
1. हमेशा एक ही दल के लोग जीते. या हर बार अलग. अलग दल के जीतते रहे.- रजौली में किसी एक दल का कब्जा नही रहा है। रजौली में सर्वाधिक पांच बार कांग्रेस जीती है। 1972 के बाद कांग्रेस लड़ाई से बाहर है। इस क्षेत्र में निर्दलीय-तीन, भाजपा-तीन, राजद-दो, जबकि जनसंघ और जनता दल को भी एक-एक बार अवसर मिला है।

2.जाति बाहुल्य किसी अन्य का, जीता हमेशा कम जाति संख्या वाला- रजौली में जाति बाहुल्य के लोग जीतते रहे हैं। 2000 में राजद के प्रो राजाराम पासवान को छोड़ दे ंतो बाकी बाहुल्य जातियों के नेता निर्वाचित रहे हैं। 1967 के पहले तीन दफा यादव जाति का कब्जा रहा। जबकि 1967 के बाद राजवंशी और पासी जाति का कब्जा रहा है।
3. एक परिवार को लोग जीतते रहे- इस सीट पर बाबूलाल चैधरी चार दफा निर्वाचित हुए। जबकि एक दफा उनके परिवार के नंदकिशोर चैधरी निर्वाचित हुए। दिलचस्प कि 1967 से बाबूलाल चैधरी और उनका परिवार चुनावी मुकाबला में रहे हैं। बाबूलाल चैधरी और बनवारी राम चार-चार बार निर्वाचित हुए हैं। 
4.जहां से हमेशा बाहरी लोग जीतते रहे- रजौली में स्थानीय उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं।


236-हिसुआ विधानसभा क्षेत्र
रिपोर्टर का नाम /मोबाइल नंबर-अशोक प्रियदर्शी/9431417240
विधानसभा क्षेत्र का नाम -हिसुआ विधानसभा क्षेत्र
वर्तमान विधायक और उनकी पार्टी - अनिल सिंह, भाजपा
उनको कितने वोट मिले -43110
प्रतिद्वंद्वी कौन था - अनिल मेहता, लोजपा
उनको कितने वोट मिले थे -39132
कितने वोटों से जीत हार - 3978

-इस बार टिकटों की दौड़ में विधायक और पिछली बार के मुख्य प्रतिद्वंद्वी की क्या स्थिति है- विधायक अनिल सिंह और प्रतिद्वंद्वी अनिल मेहता टिकट दौड़ में हैं। अनिल मेहता लोजपा छोड़कर राजद में आ गए हैं। हालांकि दोनों के टिकट को लेकर स्थिति स्पष्ट नही है।
-इस चुनाव में विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख पार्टियों के प्रमुख दावेदार कौन, क्यों- भाजपा से प्रमुख उम्मीदवार अनिल सिंह हैं। लेकिन पिछले विधान परिषद के चुनाव में अलग गुट का नेतृत्व करने के कारण भाजपा का एक गुट विधायक को टिकट से वंचित होने का कयास लगा रहे हैं। लिहाजा, भाजपा और गैर भाजपा नेता भी हिसुआ से भाजपा उम्मीदवार की दौड़ लगा रहे हैं। पूर्वमंत्री आदित्य सिंह की पुत्रवधू नीतु कुमारी, डाॅ शत्रुधन प्रसाद सिंह, भाजपा नेता आलोक कुमार समेत कई लोग इस रेस में हैं। नीतु पिछले चुनाव में कांग्रेस से लड़ी थी और तीसरे स्थान पर रही थी। इस बार नीतु को दोनों दल से जोड़कर देखा जा रहा है। महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार और जिलाध्यक्ष आभा सिन्हा भी रेस में हैं। बता दें कि नीतु और आभा जेठानी और देवरानी हैं। महागठबंधन में विधायक कौशल यादव दंपति में से किसी एक को हिसुआ से चुनाव लड़ने की चर्चा है। जदयू नेता मसीह उददीन, इकबाल हैदर खां मेजर , राजद नेता अनिल मेहता भी हिसुआ से टिकट की रेस में हैं।

-इतिहास में आपके विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक किस पार्टी का विधायक रहा- हिसुआ विधानसभा क्षेत्र में  सर्वाधिक आठ बार कांग्रेस पार्टी के विधायक रहे हैं।
-पहले आपके विधानसभा क्षेत्र से अब तक कितने विधायक रहे, कोई उल्लेखनीय हो तो उनका नाम- हिसुआ विधानसभा में 15 विधायक हुए। शत्रुधन शरण सिंह का नाम आज भी श्रद्धा से लिया जाता है। शत्रुधन शरण सिंह का नाम जिले में शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए लिया जाता है। यही नहीं, नवादा को जिला का दर्जा दिलाने में शत्रुधन सिंह के योगदान को याद किया जाता है। इस क्षेत्र से सर्वाधिक छह बार आदित्य सिंह क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।

-कौन से प्रमुख 3 चुनावी मुद्दे होंगेघ् इन मुद्दों पर कितने सालों से राजनीति चल रही है, प्रमुख नेताओं को कब क्या वायदे किए-
-हिसुआ में पाॅलिटेक्नीक काॅलेज खोलने की घोषणा की गई थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2009 में धन्यवाद यात्रा के दौरान यह घोषणा की थी। 
-हिसुआ को अनुमंडल बनाने की मांग काफी समय से होती रही है। लेकिन घोषणाएं की जाती रही परंतु अमल नही किया जा सका है।
-तिलैया ढ़ाढ़र परियोजना सिचाईं के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। लेकिन तीन दशक से पूरा किए जाने की घोषणा की जाती रही है। अबतक अमल नही किया जा सका है।
-हिसुआ में ट्रामा सेंटर बड़ा मुददा है। बोधगया-राजगीर के मध्य में अवस्थित है। एनएच-82 पर सड़क दुर्घटनाएं होती रही है। विधायक ने इसे निर्माण कराने की बात कही है। लेकिन नही निर्माण कराया जा सका।
-ऐसी कोई खास समस्या य इश्यूए जो मुद्दा नहीं बनाए लेकिन क्षेत्र के लोगों को काफी प्रभावित करता है- हिसुआ में लड़कियों के लिए डिग्री काॅलेज नही हैं। हिसुआ जिले का पुराना शहर है। लेकिन डिग्री काॅलेज के अभाव में पढ़ाई बाधित हो रही है।

कुल मतदाता -270841
पुरुष मतदाता -143667
महिला मतदाता -127174
 कुल मतदान -124000
मत प्रतिशत -45.78 फीसदी

किस मायने में खास है आपका विधानसभा क्षेत्र -
हिसुआ में कई दल जीती लेकिन जाति एक- हिसुआ विधानसभा क्षेत्र में कई दलों के लोग जीते। लेकिन इस क्षेत्र से भूमिहार जाति के विधायक निर्वाचित होते रहे हैं। यह भूमिहार बाहुल्य इलाका रहा है। हिसुआ में सर्वाधिक आठ बार कांग्रेस की जीत हुई है। तीन बार निर्दलीय, दो बार भाजपा, एक बार जनता पार्टी जीती है। इस सीट पर सर्वाधिक आदित्य सिंह छह बार निर्वाचित हुए। शत्रुध्न शरण सिंह, राजकुमारी और अनिल सिंह दो-दो बार निर्वाचित हुए। जबकि रामकिसुन सिंह और बाबूलाल सिंह एक-एक बार निर्वाचित हुए हैं। ज्यादातर स्थानीय लोग निर्वाचित हुए हैं। 


237 नवादा विधानसभा क्षेत्र
रिपोर्टर का नाम और मोबाइल नंबर- अशोक प्रियदर्शी/ 9431417240
विधानसभा क्षेत्र का नाम - 237-नवादा विधानसभा क्षेत्र
वर्तमान विधायक और उनकी पार्टी - पूर्णिमा यादव, जदयू
उनको कितने वोट मिले -46568
प्रतिद्वंद्वी कौन था - राजवल्लभ प्रसाद, राजद
उनको कितने वोट मिले थे -40231
कितने वोटों से जीत हार -6337

-इस बार टिकटों की दौड़ में विधायक और पिछली बार के मुख्य प्रतिद्वंद्वी की क्या स्थिति है- इस बाद जदयू , राजद और कांग्रेस का महागठबंधन हो गया है। लिहाजा, पिछली बार जो आमने सामने थे। वह इस बार महागठबंधन का हिस्सा बन गए हैं। फिलहाल, दोनों के समर्थक इस सीट पर दावा कर रहे हैं। लेकिन स्थिति स्पष्ट नही है।
-इस चुनाव में विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख पार्टियों के प्रमुख दावेदार कौन, क्यों- पूर्णिमा इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। लिहाजा, उनके समर्थक पूर्णिमा को  स्वभाविक उम्मीदवार मानते हैं। पूर्णिमा का यह तीसरा अवसर है। दूसरी तरफ, राजवल्लभ प्रसाद इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। राजवल्लभ समर्थक विधान परिषद मे जदयू प्रत्याशी सलमान रागीव को मदद करने के बदले में पूर्णिमा की सीट पर दावा कर रहे हैं। दूसरी तरफ, भाजपा की सूची लंबी है। जिला से 23 उम्मीदवारों के नाम भेजे गए हैं। भाजपा के निवर्तमान जिलाध्यक्ष विनय कुमार, युवा मोर्चा के अध्यक्ष बबलू कुमार, गीता देवी, संजय मुन्ना, नवीन केसरी, श्रवण कुशवाहा जैसे दर्जनों लोग टिकट की रेस में हैं। यही नहीं, डाॅ सीपी ठाकुर के पुत्र विवेक ठाकुर और आरपी शर्मा के पुत्र पुष्पंजय भी इस रेस में हैं।

-इतिहास में आपके विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक किस पार्टी का विधायक रहा- नवादा विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक पांच दफा कांग्रेस पार्टी के विधायक निर्वाचित हुए हैं। आखिरी बार 1985 में नरेंद्र कुमार निर्वाचित हुए। उसके बाद से कांग्रेस नही जीती है।

-पहले आपके विधानसभा क्षेत्र से अब तक कितने विधायक रहे,् कोई उल्लेखनीय हो तो उनका नाम- नवादा विधानसभा से 15 विधायक हुए हैं। नवादा में डाॅ मंजूर अहमद का नाम पहला मुस्लिम विधायक के रूप में जुड़ा। डाॅ मंजूर अहमद राष्ट्रीय आंदोलन में उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी। वह राष्ट्रीय स्तर के नेता थे। इसके पहले वह वारिसलीगंज से विधायक निर्वाचित हुए थे। नवादा जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों के इतिहास में डाॅ मंजूर के अलावा दूसरे किसी मुस्लिम नेता नही निर्वाचित हो पाए हैं।

कौन से प्रमुख 3 चुनावी मुद्दे होंगेघ् इन मुद्दों पर कितने सालों से राजनीति चल रही हैघ् प्रमुख नेताओं को कब क्या वायदे किए-
 -सच यह है कि चुनाव में विकास कोई मुददा नही बनता। जाति ही मुददा है। जाति ही मुददा था। लिहाजा, यह समस्या जरूर है लेकिन प्रतिनिधियों के लिए मुददा नही बन पाया।
     - शिक्षा की गंभीर समस्या है। पीजी की पढ़ाई के लिए गया और पटना जाना पड़ता है। डिग्री काॅलेजों में शिक्षकों की कमी है। लोग आंदोलन करते हैं लेकिन नेता इसकी खबर नही लेते। 
     - नवादा विधानसभा क्षेत्र के लोगों का जीविका का साधन खेती है। लेकिन सिचाईं के लिए प्रकृति पर निर्भर रहना पड़ता है। सिचाईं के लिए 44 राजकीय नलकूल है। इनमें 38 ठप हैं। नहर की साफ सफाई और बिजली बड़ी समस्या है।
     -कादिरगंज सिल्क कपड़े और मिटटी की मूर्तियों के लिए ख्यात है। सिल्क कपड़े की आपूर्ति विदेशों तक की जाती है। लेकिन आर्थिक तंगी की स्थिति से लोग गुजर रहे हैं। इस दिशा में कई दफा वादे किए गए हैं।

..ऐसी कोई खास समस्या य इश्यूए जो मुद्दा नहीं बनाए लेकिन क्षेत्र के लोगों को काफी प्रभावित करता हैल्
-नवादा विधानसभा क्षेत्र जिले का मुख्यालय है। शहर की करीब एक लाख आबादी है। लेकिन शहर का सौंदर्यीकरण नही हो सका है। शहर में ट्राफिक, जल निकासी, सफाई एक बड़ी समस्या है।

कुल मतदाता -263008
पुरुष मतदाता .-141599
महिला मतदाता -121409
 कुल मतदान - 119106
मत प्रतिशत - 45.29 फीसदी

किस मायने में खास है आपका विधानसभा क्षेत्र -
       दो जातियों के मुकाबला का केन्द्र रहा है नवादा- नवादा विधानसभा क्षेत्र यादव और भूमिहार जातियों के उम्मीदवारों के बीच सियासी मुकाबला का मुख्य केन्द्र रहा है। इस सीट पर आठ बार यादव और चार दफा यादव की जीत हुई है। जबकि दो दफा वैश्य और एक दफा मुस्लिम नेता भी निर्वाचित हुए हैं। दलीय आधार पर सर्वाधिक पांच दफा कांग्रेस जीती है। इसके अलावा जनसंघ-दो, सीपीएम-दो, भाजपा-एक, राजद-एक, जदयू-एक और निर्दलीय तीन बार निर्वाचित हुए हैं। 
      हालांकि लोकसभा में 14 दफा बाहरी उम्मीदवार जीत दर्ज हुई है। लेकिन विधानसभा में स्थानीय उम्मीदवार जीतते रहे हैं। इस सीट पर सर्वाधिक दो परिवारों का दबदबा रहा है। राजवल्लभ प्रसाद दो दफा, जबकि एक दफा उनके बड़े भाई कृष्णा प्रसाद निर्वाचित हुए थे। जबकि पूर्णिमा यादव तीन दफा, जबकि एक दफा उनकी सास गायत्री देवी निर्वाचित हुईं। गौरीशंकर केसरी और गणेश शंकर विधार्थी दो दो बार निर्वाचित हुए, जबकि नरेंद्र कुमार, रामस्वरूप यादव और रामकिसुन सिंह एक एक बार निर्वाचित हुए।


238-गोविंदपुर विधानसभा क्षेत्र
रिपोर्टर का नाम और मोबाइल नंबर-अशोक प्रियदर्शी/9431417240
विधानसभा क्षेत्र का नाम -238-गोविंदपुर विधानसभा क्षेत्र
वर्तमान विधायक और उनकी पार्टी - कौशल यादव, जदयू
उनको कितने वोट मिले -45589
प्रतिद्वंद्वी कौन था - प्रो केबी प्रसाद, लोजपा
उनको कितने वोट मिले थे -24702
कितने वोटों से जीत हार -20887

-इस बार टिकटों की दौड़ में विधायक और पिछली बार के मुख्य प्रतिद्वंद्वी की क्या स्थिति है- गोविंदपुर विधायक कौशल यादव की उम्मीदवारी पक्की मानी जा रही है। जबकि प्रो केबी प्रसाद की स्थिति स्पष्ट नही है। 
-इस चुनाव में विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख पार्टियों के प्रमुख दावेदार कौन, क्यों- जदयू से कौशल यादव उम्मीदवार हैं। दूसरी तरफ, एनडीए में उहापोह की स्थिति है। प्रो केबी प्रसाद भी एनडीए का दामन थाम सकते हैं। यही नहीं, लोजपा के जिलाध्यक्ष अजीत यादव, रालोसपा के जिलाध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा, मोहन सिंह, गौतम कपूर चंद्रवंशी, मो कामरान, कुमारी ज्योति जबकि भाजपा से रंजीत यादव टिकट की रेस में हैं।
-इतिहास में आपके विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक किस पार्टी का विधायक रहा- गोविंदपुर विधानसभा में सर्वाधिक सात बार कांग्रेस पार्टी के विधायक निर्वाचित हुए हैं। हालांकि 1985 के बाद कांग्रेस की निराशाजनक प्रदर्शन रही है।
-पहले आपके विधानसभा क्षेत्र से अब तक कितने विधायक रहे,् कोई उल्लेखनीय हो तो उनका नाम- गोविंदपुर विधानसभा क्षेत्र से 15 विधायक निर्वाचित हुए हैं। इस विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित प्रो केबी प्रसाद और युगल किशोर सिंह यादव मंत्री बनाए गए थे। हालांकि युगल किशोर सिंह यादव की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई।

 -कौन से प्रमुख 3 चुनावी मुद्दे होंगेघ् इन मुद्दों पर कितने सालों से राजनीति चल रही हैघ् प्रमुख नेताओं को कब क्या वायदे किए
            -ककोलत जलप्रपात बिहार का प्रसिद्ध शीतल जलप्रपात है। इसे पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित किए जाने की बात की जाती रही है। राज्य सरकार और स्थानीय विधायक ककोलत को विकसित किए जाने की बात करते रहे हैं। लेकिन इसका विकास नही हो सका है।
     - गोविंदपुर में बिजली की गंभीर समस्या है। डुमरी, पनसगवा, चोंगवा, बंदैली जैसे दर्जनों गांव हैं जहां आजादी के बाद भी बिजली नही पहुंची है। आरोप है कि सतर फीसदी गांवों में बिजली की आपूर्ति नही हो पाई है।
     -रोह प्रखंड का अनुमंडल मुख्यालय रजौली से नवादा किए जाने की मांग दो दशक पुरानी है। फिलहाल रोह प्रखंडवासियों को रजौली जाने के लिए 50 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ता है। जबकि नवादा अनुमंडल की दूरी 15 किलोमीटर है। रूपौ को प्रखंड मुख्यालय की मांग की जाती रही है। 
      -जेपी आश्रम को पुनर्जीवित करने की मांग पुरानी है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने इसकी स्थापना की थी। डेढ़ दर्जन योजनाओं का संचालन होता था, जो ग्रामीणों के लिए उपयोगी था। मुख्यमंत्री 2010 में विकसित किए जाने की धोषणा की थी।

ऐसी कोई खास समस्या य इश्यूए जो मुद्दा नहीं बनाए लेकिन क्षेत्र के लोगों को काफी प्रभावित करता है-
गोविंदपुर और कौआकोल के जंगली और पठारी इलाका में सिचाईं और पेयजल की गंभीर समस्या है। गरमी के दिनों में इस इलाके से 20 हजार से अधिक मवेशियांे का पलायन हो जाता है। बरसात आने के बाद मवेशी और उसके चरवाहा लौटते हैं। लेकिन सरकार, प्रतिनिधि और प्रशासन इससे बेखबर है।
कुल मतदाता -229141
पुरुष मतदाता -123207
महिला मतदाता -105934
 कुल मतदान -100074
मत प्रतिशत -43.67 फीसदी 

किस मायने में खास है आपका विधानसभा क्षेत्र, जैसे-
गोविंदपुर में एक परिवार को मिला नौ दफा मौका-
गोविंदपुर विधानसभा के 15 चुनावों में एक ही परिवार को नौ दफा अवसर मिला है। फरवरी 2005, अक्तूबर 2005 और नवंबर 2010 में कौशल यादव निर्वाचित हुए हैं। इसके पहले 1969, 1980, 1985, 1990 और 2000 में कौशल यादव की मां गायत्री देवी निर्वाचित हुईं थी। वहीं 1967 में कौशल के पिता युगल किशोर सिंह यादव निर्वाचित हुए थे। जबकि दो बार रामकिसुन सिंह, दो बार अमृत माहतो तथा एक एक बार भतू महतो और प्रोके बी प्रसाद गोविंदपुर का प्रतिनिधित्व किया।
     देखे तो, दलीय आधार पर कांग्रेस-7, लोकतांत्रिक कांग्रेस-2, निर्दलीय-2, जनता पार्टी-1, राजद-1, जनता दल-1 और जदयू-एक दफा जीती है। जातीय आधार पर देखें कि यह सीट यादव के लिए महफूज रहा है। सर्वाधिक ग्यारह दफा यादव जाति के उम्मीदवार की जीत हुई है। दो दफा कुर्मी और दो दफा भूमिहार प्रत्याशी की जीत हुई है।

239-वारिसलीगंज विधानसभा क्षेत्र
रिपोर्टर का नाम और मोबाइल नंबर- अशोक प्रियदर्शी/941417240
विधानसभा क्षेत्र का नाम - 239-वारिसलीगंज विधानसभा क्षेत्र
वर्तमान विधायक और उनकी पार्टी - प्रदीप कुमार, जदयू
उनको कितने वोट मिले -42381
प्रतिद्वंद्वी कौन था - अरूणा देवी, कांग्रेस
उनको कितने वोट मिले थे -36953
कितने वोटों से जीत हार -5428

-इस बार टिकटों की दौड़ में विधायक और पिछली बार के मुख्य प्रतिद्वंद्वी की क्या स्थिति है- विधायक प्रदीप कुमार और उनके प्रतिद्वंद्वी अरूणा देवी इस दफा भी प्रबल दावेदार हैं।
-इस चुनाव में विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख पार्टियों के प्रमुख दावेदार कौन, क्यों- प्रदीप कुमार जदयू से उम्मीदवार हैं। फिलहाल वह क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। दूसरी तरफ, प्रदीप के मुकाबले अरूणा देवी चुनावी रेस में हैं। अरूणा को लोजपा से उम्मीदवार माना जा रहा है।
-इतिहास में आपके विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक किस पार्टी का विधायक रहा- वारिसलीगंज विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक छह दफा कांग्रेस पार्टी के विधायक रहे हैं। 1995 में कांग्रेस से रामाश्रय प्रसाद सिंह निर्वाचित हुए।
-पहले आपके विधानसभा क्षेत्र से अब तक कितने विधायक रहे, कोई उल्लेखनीय हो तो उनका नाम- वारिसलीगंज विधानसभा क्षेत्र में 16 विधायक निर्वाचित हुए हैं। वारिसलीगंज के पहले विधायक डाॅ मंजूर अहमद निर्वाचित हुए। वह स्वतंत्रता आंदोलन में काफी सक्रिय रहे थे। उनकी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान थी। यही वजह है कि वह दूसरी दफा नवादा से भी निर्वाचित हुए थे। डाॅ मंजूर के बाद रामकिसुन सिंह निर्वाचित हुए थे। वह बिहार के पहले मुख्यमंत्री डाॅ श्रीकृष्ण सिंह के करीब माने जाते थे। तब वारिसलीगंज में सिचाईं और शिक्षा के क्षेत्र में बहुत काम हुआ था।

-कौन से प्रमुख 3 चुनावी मुद्दे होंगेघ् इन मुद्दों पर कितने सालों से राजनीति चल रही है, प्रमुख नेताओं को कब क्या वायदे किए-
-1993 के बाद वारिसलीगंज चीनी मील बंद हो गया है। चीनी मील के बंद होने से वारिसलीगंज के अलावा आसपास के जिलों में गन्ने की खेती का उत्पादन ठप हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहली दफा मुख्यमंत्री बने थे तभी इस चीनी मील को चालू करने की घोषणा की थी। लेकिन अबतक नही चालू किया जा सका।
    - बिहार के पहले मुख्यमंत्री डाॅ श्रीकृष्ण सिंह के प्रयास से पौरा से मौरा तक नहर की खुदाई की गई थी। इससे नवादा, नालंदा और शेखपुरा में सिचाईं होती है। समुचित जीर्णोद्धार के अभाव में खेतों में पानी नही पहुंच पाता। वारिसलीगंज में 80 नलकूल है जिसमें 71 यांत्रिक और विद्युत कारणों से बंद हैं।
     -वारिसलीगंज को अनुमंडल बनाने की मांग पुरानी रही है। करीब आधे दर्जन विभागों का अनुमंडल कार्यालय वारिसलीगंज में है। लेकिन अनुमंडल के नाम पर सियासत होती रही है। इधर, पकरीबरावां को पुलिस अनुमंडल मुख्यालय बनाए जाने से नयी सियासत शुरू हो गई है।   
    -वारिसलीगंज का रेफरल अस्पताल कई सालों से बंद है। 


ऐसी कोई खास समस्या य इश्यूए जो मुद्दा नहीं बनाए लेकिन क्षेत्र के लोगों को काफी प्रभावित करता है- 
     -वारिसलीगंज में उच्च शिक्षा की बड़ी समस्या है। पकरीबरावां, काशीचक और वारिसलीगंज में लड़कियों के लिए डिग्री काॅलेज नही है। काशीचक और पकरीबरावां में एक भी अंगीभूत इकाई नही है।

कुल मतदाता -263532
पुरुष मतदाता -143208
महिला मतदाता -120324
कुल मतदान -120958
मत प्रतिशत - 45.90

किस मायने में खास है आपका विधानसभा क्षेत्र, जैसे- 
     दो जातियों में सीमित रही है वारिसलीगंज की सियासत- वारिसलीगंज विधानसभा क्षेत्र दो जातियों के बीच की सियासत में उलझी रही है। ज्यादातर इस विधानसभा में भूमिहार और कुर्मी जाति सियासत में आमने सामने रहे हैं। पिछला आकड़े देखें तो इस क्षेत्र से नौ दफा भूमिहार और छह दफा कुर्मी जाति के प्रतिनिधि निर्वाचित हुए हैं। जबकि एक दफा मुस्लिम जाति के उम्मीदवार निर्वाचित हुए हैं।
    दलीय आधार पर वारिसलीगंज विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस-6, सीपीआई-4, निर्दलीय-2, लोजपा, संगठन कांग्रेस, जनता पार्टी और जदयू के एक-एक विधायक हुए। इस सीट पर 2000 विधानसभा चुनाव से दो बाहुबलियों का कब्जा रहा है। दो दफा अखिलेश सिंह की पत्नी अरूणा देवी और दो दफा अशोक महतो के साथी रहे प्रदीप महतो निर्वाचित हुए। इसके पहले एक बार रामाश्रय प्रसाद सिंह, रामरतन सिंह, श्याम सुंदर सिंह, डाॅ मंजूर अहमद निर्वाचित हुए। चार बार देवनंदन प्रसाद, दो बार रामकिसुन सिंह, दो बार डाॅ श्रीकृष्ण सिंह के पुत्र बंदीशंकर सिंह निर्वाचित हुए हैं। वारिसलीगंज के बाहर प्रभावी लोगों को भी वारिसलीगंज में विधायक बनने का अवसर मिला है। रामाश्रय प्रसाद सिंह और बंदी शंकर सिंह ऐसे ही मिसाल हैं।
 

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