Tuesday 11 October 2016

बधाई दीजिए! लालूजी के घर लक्ष्मी आई हैं

अशोक प्रियदर्शी
          बिहार में राज्ससभा की पांच सीटें जुलाई में खाली हो रही है। इसमें दो सीटें राजद के हिस्से में गई। एक सीट सीनियर एडवोकेट राम जेठमाली, जबकि दूसरा सीट डाॅ मीसा भारती को दी गई है। दोनों निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं। अब मीसा भारती राज्यसभा सांसद निवार्चित हो गई हैं। हमसबों को मीसा भारती को बधाई देने का वक्त है। यह इसलिए कि जो कदम लंबी मांग के बाद भी कांग्रेस नही पूरी कर पाई वह काम राजद प्रमुख लालू प्रसाद और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने पूरी कर दी है। लालू दंपति ने बड़ी बेटी डाॅ मीसा भारती को यह अवसर दिया है।
         देखें तो, कांग्रेस लगातार खराब प्रदर्शन कर रही है। इस हार के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी निशाने पर रहे हैं। मौके बे मौके कांग्रेसी नेता और कांग्रेस को चाहनेवाले लोग प्रियंका गांधी को राजनीति में उतारने की मांग करते रहे हैं। लेकिन अबतक प्रियंका गांधी को नही पार्टी का दायित्व और नही किसी सदन का प्रतिनिधित्व का अवसर दिया गया है। इसके लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के पुत्रमोह को जिम्मेवार ठहराया जाता रहा है। यही कारण है कि प्रियंका ऐसे अवसर से वंचित रही हैं। हालांकि प्रियंका ने कभी अपनी इच्छा जाहिर नही की है।
दरअसल, सियासत में महिलाओं की भागीदारी की बात उठती रही है। देखें तो, ज्यादातर सियासी घराने बेटियों को राजनीति में मौका देने से परहेज करते रहे हैं। अपवाद को छोड़ दें तो ज्यादातर सियासी घराने बेटे को ऐसा अवसर देते रहे हैं ताकि उनकी सियासी वंश परंपरा कायम रहे। वह बेटा चाहे कितना भी अयोग्य क्यों ना हो, लेकिन पहला अवसर उसी बेटे को दिए जाते रहे हैं। उससे बचा तो पत्नी की बारी आती है। उससे आगे पुत्रवधू तक जाता है। लेकिन बेटियों के साथ पराए जैसा बर्ताव किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि बेटियों को राजनीति में उतारने के बाद सियासी ठिकाना भी बेटी के साथ ससुराल चली जाती है। ऐसी आशंका से सियासी धराने बेटियों को ऐसे अवसर से वंचित करते रहे हैं।
        ऐसे में मीसा भारती को उतारना हैरान करनेवाली बात है। हालांकि यह भी स्वभाविक नही है। चूंिक लालू राबड़ी परिवार में फिलहाल कोई ऐसे नही बचे हैं, जिन्हें सियासी अवसर दिया जाय। तब मीसा को राज्यसभा का अवसर मिला है। देखें तो, दोनों बेटे पर सरकार चलाने का दायित्व है। तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम और तेजप्रताप स्वास्थ्य मंत्री है। जबकि मीसा विधानसभा चुनाव के समय से ही सक्रिय थीं। उम्मीद की जा रही थी कि मीसा को भी दायित्व मिलेगी। लेकिन तब कोई जवाबदेही नही दी गई थी। बहरहाल, बिहार में लालू प्रसाद का अकेला परिवार है, जिनके परिवार के चार सदस्यों को सदन में प्रतिनिधित्व का अवसर मिला है। लालू की पत्नी, दो बेटे और बेटी सदन में हैं। 
           देखें तो, मेनका गांधी-वरूण गांधी, रामविलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान, राजेश रंजन और उनकी पत्नी रंजिता रंजन , इंदिरा गांधी-संजय गांधी, सोनिया गांधी-राहुल गांधी, राजमाता विजयाराजे सिंधिया-माधवराव सिंधिया, डाॅ जगन्नाथ मिश्र-नीतीश मिश्रा, नागेन्द्र झा-मदनमोहन झा समेत कई उदाहरण रहे हैं, जिसके जरिए बाप-बेटे, पति-पत्नी और सगे संबंधियों को सियासत में अवसर दिए जाते रहे हैं। लेकिन लालू और मीसा जैसे उदाहरण बहुत कम मिलते हैं। लिहाजा, मीसा को राजनीतिक प्रतिनिधित्व दिया जाना महिलाओं के लिए स्वागत योग्य कदम है।

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