Thursday 24 March 2016

परिवार उसे खेलने से कर दिया था मना, पर खुशबू ने भर दिया मेडलों से घर

अशोक प्रियदर्शी
          तीन साल पहले की कहानी है। बिहार हैंडबाॅल की कप्तान खुशबू को खेल मैदान जाने से मना कर दिया गया था। तब खुशबू सात दिनों तक खूब रोयी थी। एक माह तक खेलने नही गई। खुशबू के सामने यह स्थिति तब थी जब वह राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी थी। लेकिन आर्थिक परेशानियों और पड़ोसियों के उलाहना से खुशबू के माता-पिता परेशान थे। पिता का मानना था कि बेटियों की प्रतिभा नही सरकार और नही समाज आदर करता हैै। शादी के वक्त भी वर पक्ष उदारता नही दिखाते। लेकिन खुशबू के आग्रह पर उसके माता-पिता खेल में भाग लेने देने के लिए राजी हो गए थे। 
       खुशबू का जिद ही था कि आज वह नेशनल खिलाड़ी के रूप में पहचान बनाई है। हैंडबाॅल फेडरेशन की ओर से पाकिस्तान में 11 मार्च से होनेवाले खेल में खुशबू भारतीय टीम की ओर से जा रही है। यही नहीं, पूणे में होनेवाले बीथ हैंडबाॅल के सुपर लीग का भी हिस्सा बनेगी। इसके पहले 2015 में बांगलादेश के चिटगांव, ढाका मेें आयोजित प्रतियोगिता में इंडियन टीम का हिस्सा रही। फरवरी 2016 में पटना में भारतीय खेल प्राधिकार के तहत आयोजित राजीव गांधी खेल अभियान के नेशनल वुमेन स्पोर्टस चैम्पियनशिप में बिहार को जीत दिलाई। 
       यही नहीं, 2008 से लगातार हैंडबाॅल वुमेन टीम की कैप्टन है। बिहार के खेलों में लगातार 2014 तक नवादा को गोल्ड मेडल मिला है। नवादा की टीम कमजोर हुआ है। इसलिए दो साल से दूसरे स्थान पर है। हालांकि खुशबू को लगातार बेस्ट खिलाड़ी का अॅवार्ड मिलता रहा है। खुशबू का चयन भी जिला पुलिस बल में हो गया है। खुशबू अपनी मेहनत से मेडलों और प्रशस्ति पत्र का अंबार लगा दी है। खुशबू की सफलता से उसके माता पिता काफी खुश हैं। मां पिता कहते हैं कि बेटी की सफलता देखकर अच्छा महसूस करते हैं।

कौन है खुशबू
खुशबू नवादा जिला मुख्यालय के पटेल नगर निवासी अनिल सिंह और प्रभा देवी की दूसरी बेटी हैं। खुशबू के पिता आटा चक्की मील चलाकर परिवार चलाते हैं। मां गृहणी हैं। खुशबू फिजिक्स से ग्रेजुएट है। वह दो बहन और एक भाई है। बड़ी बहन सोनी बीएसएफ में हेड कांस्टेबल है। जबकि भाई दीपक गे्रजुएशन कर रहा है। सोनी और खुशबू के पहले उनके परिवार के तीन पीढियों में बेटियां नही थी। खुशबू का पैतृक गांव नवादा जिले के नारदीगंज प्रखंड के परमा गांव है।

कैसे खेल में आई खुशबू
        साल 2008 में नवादा में 54वीं नेशनल स्कूल गेम आयोजित हो रहा था। हैंडबाॅल का गल्र्स टीम नही थी। तभी नवादा प्रोजेक्ट स्कूल के आठवीं की छात्रा खुशबू का चयन हैंडबाॅल खिलाड़ी के रूप में किया गया था। इसके पहले वह खो-खो आदि खेला करती थी। खुशबू के नेतृत्व में बिहार टीम जीती। उसके बाद से खुशबू हैंडबाॅल में जुड़ गई। 2011 में साइ लखनउ में प्रशिक्षण के लिए एक खिलाड़ी की वैकेंसी थी। खुशबू उसमें शामिल हुई थी, जिसमें उसका चयन हो गया था। तब से उसका मनोबल और भी मजबूत हो गया।

क्या कहती है खुशबू -
        खुशबू कहती हैं कि उसे पढ़ाई में मन नही लगता था। लेकिन खेल में काफभ् अभिरूचि थी। मुझे जिंदगी में कुछ बेहतर करना था। इसलिए हर खेल में अपनी पूरी ताकत लगाई।


उपलब्धियां- 
2008- 54वीं नेशनल स्कूल गेम, नवादा
2009- ईस्ट जोन हैंडबाॅल चैम्पियनशिप, गोवाहाटी
2011- 56वीं नेशनल स्कूल गेम, हरियाणा
     -34वीं जुनियर गल्र्स नेशनल हैंडबाॅल चैम्पियनशिप, गोवा
2012-16वीं इंटर जोनल हैंडबाॅल चैम्पियनशिप, वाराणसी-रनर
   (यूपी से खेली)
-17वीं इस्ट जोन हैंडबाॅल चैम्पियनशिप, मेन और वुमेन, अगरतल्ला, त्रिपुरा
  रनर ( बिहार से )
      -27वीं फेडरेशन कप हैंडबाॅल चैम्पियनशिप, जैसलमेर, राजस्थान-तीसरा।   (यूपी से)  
2013 -18वीं इंटरजोनल हैंडबाॅल चैम्पियनशिप, पटना। -रनर
     -17वीं इंटर जोनल हैंडबाॅल चैम्पियनशिप, भिलाई, छतीसगढ।
     -41वीं सीनियर वुमेन नेशनल हैंडबाॅल चैम्पियनशिप, नेलौर,एपी।-रनर।
2014-42वीं सीनियर वोमेन नेशनल हैंडबाॅल चैम्पियनशिप, नरवाना, हरियाणा।
     -43वीं सीनियर वोमेन नेशनल हैंडबाॅल चैम्पियनशिप, संगरूर, पंजाब,  
     -नेशनल स्पोर्टस आॅथिरीटी, भारत सरकार के युवा एवं खेल मंत्रालय चित्रदुर्ग-कर्नाटक, चैथा स्थान
     -36वीं जुनियर नेशनल हैंडबाॅल चैम्पियनशिप, इंडौर, मध्यप्रदेश, साइ की ओर से- रनर
2015-44वीं सीनियर वोमेन नेशनल चैंम्पियनशिप, पूणा।
-बांगलादेश हैंडबाॅल फेडरेशन, चिटगांव, ढाका।
     -35वीं नेशनल गेम्स केरला, पार्टिसिपेंट, बिहार से, बिथिंग बाॅल,
     -साउथ एशियन गेम्स सैफ का पंजाब के पटियाला और गुजरात के गांधी नगर में कैंप किया।
2016- राजीव गांधी खेल अभियान, भारतीय खेल प्राधिकरण, खेल मंत्रालय, नेशनल लेवल वुमेन स्पोर्टस चैम्पियनशिप। प्रथम। 14-17 फरवरी 2016


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