Monday 1 February 2016

PM ने 'मन की बात' में की इस महिला की तारीफ, बनी गांव के लिए रोल मॉडल

प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ में साधना के जिक्र ने उन्हें महिलाओं का रौल मॉडल बना दिया था।
प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ में साधना के जिक्र ने उन्हें महिलाओं का रौल मॉडल बना दिया था।
  • अशोक प्रियदर्शी
  • Feb 01, 2016, 06:37 AM IST




      नवादा(बिहार). यहां की साधना सिंह हजारों हाउस वाइफ्स के लिए रोल मॉडल बन गईं हैं। उन्होंने चरखा और सूत को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया, जिसके बाद उनका लगाव इसके प्रति बढ़ता गया और उनकी आमदनी भी। रविवार को पीएम के मन की बातमें साधना के जिक्र ने उन्हें उन महिलाओं का रोल मॉडल बना दिया, जो हाउस वाइफ हैं और अपने दम पर कुछ करना चाहती हैं।
पति का इलाज कराया और कर्ज भी चुकाया...
- बात आठ महीने पहले की है। साधना के पति की तबीयत अचानक बहुत खराब हो गई थी।
- तब दूसरों की मदद लेकर पति अरविंद सिंह का इलाज करवाया। घर में कोई जमापूंजी नहीं बची थी।
- तब से साधना को किसी विकल्प की तलाश थी। इसी दौरान गांव में सोलर चरखा का ट्रेनिंग सेंटर खुला।
- साधना ने तीन माह की ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग के समय जो आमदनी हुई, उससे पति के इलाज के लिए लिया कर्ज चुकाया।
हर रोज होती है दो सौ रुपए की आमदनी
केंद्रीय सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग राज्यमंत्री गिरिराज सिंह ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत नवादा के खनवां गांव को गोद लिया था। पांच माह पहले खादी ग्रामोद्योग की मदद से खनवा में सोलर चरखे का ट्रेनिंग सेंटर खोला गया था। पहले चरण में 50 चरखे थे। ट्रेंड महिलाओं को चरखे उपलब्ध कराए गए। महिलाएं कच्चे माल से सूत काटती हैं और तैयार सूत को खादी ग्रामोद्योग को देती हैं। प्रतिदिन दो सौ रुपए तक की आमदनी उन्हें हो जाती है।
साधना की राह पर गांव की महिलाएं
साधना की राह पर उनके गांव की कई महिलाएं चल रहीं हैं और अपनी कमाई से गृहस्थी में योगदान दे रहीं हैं। हालांकि दो महीने पहले ट्रेनिंग के बाद महिलाओं को चरखा लेने को कहा जा रहा था। कर्ज के डर से कोई महिला ट्रेनिंग सेंटर से चरखा ले जाने को तैयार नहीं थी। सबसे पहले साधना अपने घर चरखा ले गई। फिर बाद में दूसरी महिलाएं भी चरखा घर ले गईं। साधना सिंह ने बताया कि दो महीने में 40 किलोग्राम सूत की कताई की है जिसमें आठ हजार रुपए की आमदनी हुई है।
मन की बात सुन नहीं पाई, लोगों ने बताया
साधना ने कहा कि प्रधानमंत्री को मैं शुक्रिया अदा करना चाहती हूं, जिन्होंने मुझ जैसे सुदामाकी फरियाद सुनी। मेरी मेहनत की सार्वजनिक रूप से चर्चा की। हालांकि मैं सूत काट रही थी, इसलिए नहीं सुन पाई। लेकिन लोगों ने जब बताया तब मुझे काफी खुशी हुई। यह मेरी खुशकिस्मती है। साधना कहती हैं कि प्रधानमंत्री की काफी चर्चा सुनती थी। अचानक एक दिन दिल में आया कि प्रधानमंत्री तक अपनी बात भेजूं। तभी एक चिट्ठी लिखी थी।
प्रधानमंत्री को लिखा था पत्र
बिहार के नवादा जिले के नरहट प्रखंड के खनवां निवासी 35 वर्षीया साधना ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर सोलर चरखा से हो रहे फायदे की जानकारी दी थी। उस पत्र में मजदूरी बढ़ाने की फरियाद की। रविवार को पीएम ने जब साधना की चर्चा की तब साधना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

क्या कहना है गांव की मुखिया का
खनवां पंचायत की मुखिया बेबी देवी ने कहा कि सोलर चरखा लाचार महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है। महिलाओं के लिए चरखे बहुत कम मेहनत में अच्छी आमदनी का जरिया है। इस कार्यक्रम को और व्यापक स्तर पर किए जाने की जरूरत है।
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