Monday 1 February 2016

पीएम को शुक्रिया, जिन्होंने सुन ली मुझ जैसी सुदामा की फरियाद



  अशोक प्रियदर्शी  
      बात आठ माह पहले की है। साधना के पति की तबियत अचानक बहुत खराब हो गई थी। तब दूसरों से मदद लेकर पति अरविंद सिंह की इलाज कराई थी। तब से साधना को किसी विकल्प की तलाश थी। इसी बीच गांव में सोलर चरखा का ट्रेनिंग सेंटर खुला। साधना तीन माह की ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग के समय जो आमदनी हुई उससे वह पति की इलाज में लिए कर्ज को चुकता कर दी। चरखा से साधना का लगाव बढ़ गया।
         ट्रेनिंग के बाद महिलाओं को चरखा लेने को कहा जा रहा था। कर्ज के भय से कोई महिला ट्रेनिंग सेंटर से चरखा ले जाने को तैयार नही थी। लेकिन साधना देवी ने साहस जुटाई। सबसे पहले अपने घर में चरखा ले गई। फिर बाद में दूसरी ट्रेंड महिलाएं भी चरखा घर ले गई। साधना देवी ने बताया कि 40 किलोग्राम सूत की कताई की है जिसमें आठ हजार रूपए की आमदनी हुई है। साधना कहती हैं कि सूत की कताई दर में बढ़ोतरी कर दी जाएगी तो उनकी आमदनी बढ़ जाएगी। उनकी तंगहाली दूर हो जाएगी। 

       हम बात कर रहे हैं उस साधना की जिसकी तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित मन की बात कार्यक्रम में की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि साधना जैसी महिलाओं से दूसरी महिलाओं को भी सीख लेनी चाहिए। बिहार के नवादा जिले के नरहट प्रखंड के खनवां निवासी 35 वर्षीया साधना ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर सोलर चरखा से हो रहे फायदे से अवगत कराई थी। उस पत्र में मजदूरी दर बढ़ाने का भी फरियाद की थी। रविवार को पीएम ने जब साधना की चर्चा की तब साधना की खुशी का ठिकाना नही था। 
       
साधना ने कहा कि प्रधानमंत्री को हम शुक्रिया अदा करना चाहती हूं, जिन्होंने मुझ जैसे सुदामा (गरीब) की फरियाद को सुना। यही नहीं, उनकी मेहनत की सार्वजनिक रूप से चर्चा किया। हालांकि मैं सूत काट रही थी, इसलिए नही देख और सुन पाई। लेकिन लोगों ने जब बताया तब मुझे काफी खुशी हुई। यह मेरी खुशकिस्मती है। साधना कहती हैं कि प्रधानमंत्री की काफी चर्चा सुनती थी। अचानक एक दिन दिल में आया कि प्रधानमंत्री तक अपनी बात पहुंचाउ। तभी एक चिटठी लिखी थी। इसके पहले मैंने कभी कोई चिटठी नही लिखी थी

साधना की पृष्ठभूमि
साधना सातवीं पास है। साधना के पति ग्रेजुएट हैं। लेकिन उन्हें कोई जाॅब नही मिली। इसलिए वह खेती करते हैं। पांच कटठा खेत है। घर है लेकिन अर्धनिर्मित है। साधना निःसंतान है। साधना गया जिले के वजीरगंज प्रखंड के दखिनगांव निवासी रामवृक्ष सिंह के छोटी बेटी है। रामवृक्ष सिंह टीचर थे। उन्हें दो बेटियां और तीन बेटे हैं। बेटे गैराज की दुकान चलाते हैं। जबकि बेटियों की शादी मामूली परिवार में किए थे।

साधना को कैसे मिला अवसर
केन्द्रीय सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग राज्यमंत्री गिरिराज सिंह ने सांसद आदर्श ग्राम योजना से खनवां गांव को गोद लिया था। पांच माह पहले खादी ग्रामोधोग की मदद से खनवा में सोलर चरखा का ट्रेनिंग सेंटर खोला गया था। गिरिराज सिंह का दावा रहा है कि उनका उदेश्य हर घर की महिलाओं को पांच हजार रूपए की आमदनी कराया जाना है।
पहले चरण में 50 चरखा थी। ट्रेंड महिलाओं को चरखा उपलब्ध कराया गया। दूसरे चरण में 50 चरखा से ट्रेनिंग दी जा रही है। ग्राम निर्माण मंडल, खाधी ग्रामोद्योग गया के ट्रेनर जय कुमार कहते हैं महिलाओं की दिलचस्पी बढ़ी है।  खनवां पंचायत की मुखिया बेबी देवी ने कहा कि सोलर चरखा लाचार महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है। घरेलू महिलाओं को बहुत कम मेहनत में अच्छी आमदनी का जरिया है। इसे और व्यापक स्तर पर उतारे जाने की जरूरत है।



 

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