Friday 14 November 2014

बालश्रममुक्त प्रखंड हिसुआ की तस्वीर दुनिया से अलग नही

बारह साल पहले 2002 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने  नवादा जिले के हिसुआ को बालश्रम मुक्त प्रखंड घोषित किया था। हिसुआ को देश  का पहला बालश्रममुक्त प्रखंड होने का गौरव प्राप्त हुआ था।  

डाॅ अशोक कुमार प्रियदर्शी
बिहार के नवादा जिले के हिसुआ प्रखंड देश का बालश्रम मुक्त प्रखंड घोषित है। लेकिन इसकी स्थिति देश और दुनिया के बालश्रमवाले प्रखंडों से इतर नही है। हिसुआ बाजार के होटल, ढावा, गैराज, मिठाई दुकान, ठेला और बस अडड़ों पर बालश्रम करते देखा जा सकता है। गांवों की हालत पहलेे से भी ज्यादा दयनीय बनी है। हिसुआ निवासी अशोक सिंह कहते हैं कि इस प्रखंड की स्थिति नही तब बदली थी और नही अब। महज कागजों पर हिसुआ को बालश्रममुक्त प्रखंड घोषित कर दिया गया।
कब हुआ था बालश्रममुक्त
17 दिसंबर 2002 को हिसुआ बालश्रममुक्त प्रखंड घोषित किया गया था। हिसुआ को देश का पहला और दुनिया का दूसरा बालश्रममुक्त प्रखंड का गौरव प्राप्त हुआ था। जिला प्रशासन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने इसकी घोषणा की थी। तब अगले एक साल में राज्य के सभी प्रखंडों को बालश्रम मुक्त प्रखंड किए जाने का दावा किया था। नोबल पुरस्कार के लिए नामित कैलाश सत्यार्थी भी इसका गवाह बने थे। क्योंकि उनकी संस्था बचपन बचाओ आंदोलन 100 दिनों के जागरूकता अभियान में हिसुआ को यह दर्जा दिलाया जा सका था। इसका श्रेय तत्कालीन डीएम एन विजयलक्ष्मी को जाता है।
योजनाओं का बुरा हश्र
         बालश्रम मुक्त प्रखंड हिसुआ के बच्चों को स्कूल से जोड़ने और उसके अभिभावकों को रोजगार उपलब्ध कराए जाने के लिए कई कार्यक्रम बनाए गए थे। बालमित्र कार्ड जारी किए गए थे, जिसके अंतर्गत 14 सरकारी योजनाएं संचालिए किए जाने की बात की गई थी। लेकिन वह कार्यक्रम जमीन पर आकार नही ले सका। बालश्रमिकों की शिक्षा के लिए जिले में 88 बालश्रमिक विधालय खोले गए थे लेकिन चार साल से सभी विधालय बंद हैं। केन्द्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय 2011 की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी और महाराष्ट्र के बाद बिहार देश का तीसरा बड़ा राज्य है, जहां 4.52 लाख बालश्रमिक है।

कोट-किशोरी रविदास, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी, हिसुआ, नवादा
-बालश्रम को रोकने के लिए धावा दल का गठन किया गया है। समय समय पर कार्रवाई की जाती है। हालांकि सामाजिक जागरूकता के अभाव में बालश्रम पर अंकुश नही लग पाता।



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