Sunday 1 May 2016

मगही/अरझी परझी-सेल्फी वाला नयका समाजसेवक

डाॅ अशोक कुमार प्रियदर्शी
मगही लेखक 
  सेल्फी अंगरेजी शब्द हय। एकर मतलब अप्पना से होवो हय। सेल्फी के सेल्फिश से जोड़ो हका। सेल्फिश के मतलब स्वारथी होवो हय। लेकिन जहिया से स्मार्टफोन आउ ओटोमेटिक कैमरा हाथ में आ गेला ह। तहिया से सेल्फी के प्रचलन बढ़ गेला ह। अब जिनखरा देखा उ सेल्फी लेवे में मस्त हका। सवाल उ नय हका।
  सवाल इ हका कि सेल्फी अब नयका समाज सेवक के हथियार बन गेला ह। नयका समाजसेवक समाज से ज्यादा सेलफिये में दिखो हथीन। जे कहियो समाज से सरोकार नय रखलथीन। उहो गरीब आउ लाचार के साथ सेल्फी खिंचाके समाजसेवक नियन अप्पन चेहरा चमका रहलथीन ह। सोशल साइट पर लाइक आउ कमेंट पाके नयका समाजसेवक गदगद हो रहलथीन ह।
      सवाल फोटो खिंचावे के नय हका। सवाल उनखर नीयत पर हय। तोहरा पंचायत चुनाव के उदाहरण देहियो। जे कहियो गांव आउ गरीब से नाता नय रखलथीन। उहो आदमी गांववाला के साथ सेल्फी खिंचाके अप्पन चेहरा चमका रहलथीन।कोय अपराधी हका। कोय माफिया हका। कोय भ्रष्ट्राचारी हका। जे कहियो मानवता से लगाव नय रखलथीन। लेकिन पंचायत चुनाव में अप्पन पत्नी आउ परिवार के जितावे ले गरीब के साथ सेल्फी खिंचा रहला ह। 
      सेल्फी के बाद उ गांववाला कैसे रहो हथीन। इ चिंता उ नय करो हथीन। एतने नय। जे कहियो अप्पन माय बाप के आगे भी हाथ नय जोड़लथीन हल, उ जनता के बीच में हाथ जोड़के सेल्फी खिंचवा रहला ह। एकरा सोशल साइट पर डाल के सेल्फीवाला समाजसेवक बनल हथीन। अइसनका समाजसेवक पंचायत चुनावे तक सीमित नय हथीन। एकर पहिले विधानसभा आउ लोकसभा चुनाव में भी अइसनका सेल्फीवाला समाजसेवक खूब देखल गेला हल।
      चुनाव के पहिले झाड़ू लगाके सेल्फी खिंचैलका। कंबल बांटलका। चिकित्सा शिविर लगइलका। पानी के प्याउं लगइलका। दलित बस्ती में सेल्फी खिंचाके हमदर्दी जतैलका। पइसवावाला अदमिया उहे सेल्फिया के मीडिया में भी भुनैलका। मतलब कि सेल्फी से जनता के दिल में उतरे के बडी कोशिश कइलका। 
      राजनीतिये तक इ बीमारी सिमटल नय हका। सेल्फी खिंचावेवाला समाजसेवक के आउ भी केतना अवतार हका। जे अप्पन व्यापार से जिंदगी भर गाहक आउ करमचारी के खून चूसलका। उनखरों पर सेल्फीवाला समाजसेवक बने के भूत सवार हो गेला ह। मिलावटी समान बेचके पइसा कमा लेलका उहो सेल्फीवाला समाजसेवक बनल हथीन।
       इहे नय। अभिभावक के खून चूसके बड़का बिल्ंिडग बना लेलका। बुतरूयन के किताब में कमीशन खा के मोटा गेला। उ भी दु चार गो कंबल आउ गमछा बांट के सेल्फीवाला समाजसेवक बनल हथीन। इ सब्भ चाहता हल तउ अप्पन व्यापार आउ संस्थान से जनता के मदद करता हल। ओकरा ठीक ठाक मजदूरी देता हल। कम मुनाफा पर समान बेचता हल। एकरा से हजारों लोग के फायदा पहुंचता हल।
       एगो सेल्फी के प्रचलन आउ हो। उ राज्य आउ देश में सम्मान पावे वाला पर नजर टिकैले रहो हका। उनखरा उ सब के बनावे में कोय योगदान नय रहो हका। लेकिन उ जब सम्मान लेके आवो हका तउ उनखा साथे सेल्फी खिंचावे में आगे रहो हका। इ सब्भे पांच छह गेंदा फूल के माला ले ले हका। अधिकारी आउ व्यापारी के बीच जाके एक माला सम्मानित प्रतिभा के पहनावो हका। बाकी माला खुद आउ व्यापारी आउ अधिकारी पहन ले हका। फिर सेल्फी खिंचाके समाजसेवी बन जा हका।
        सेल्फीवाला बीमारी से कोय अछूता नय हका। लेकिन अप्पन सेल्फी तो अप्पन अधिकार हका। काहे कि अप्पने लिए जिंदगिये जीला। लेकिन इ सेल्फी में जब समाज के शामिल करो हका तो समाज से सरोकार भी रखा। ऐकर बाद बतावे के जरूरत नय पड़तो। काहे कि समाज चुप रहो हका। लेकिन वह सब देखो हका। उ सेल्फियनवाला समाजसेवक के पहचानों हका।

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