Saturday 27 September 2014

नारी शक्ति -मुक्कमल संघर्ष है वीणा की कहानी

        इतिहास वह नही लिखता, जो परिस्थितियों से हार जाते। इतिहास वह लिखता है, जो उसका सामना करते  हैं । वीणा की कहानी कुछ ऐसा ही है, जिन्होंने परिस्थितियांें से हार नही मानी।

वीणा देवी
डाॅ अशोक कुमार प्रियदर्शी
             तीगुणा उम्र के व्यक्ति से तेरह साल की उम्र में शादी। शादी के तीन साल बाद पति की मौत।  गोद में  बच्चा। पति की मौत की घटना से उबर भी नही पाई थी कि दंबगांे ने नवादा शहर के मकान को कब्जा कर लिया। दबंगों के भय से देवर भी मकान छोड़ने को राजी हो गए थे । उसके सामने परिस्थितियों से समझौता करने के सिवा दूसरा  कोई चारा नही था। फिर भी उन्होंने परिस्थितियों से समझौता नही की। वह डटकर मुकाबला की। लिहाजा, दबंगों ने रास्ते बदल लिया।
            यह कोई रील लाइफ की कहानी नही है। हम बात कर रहे हैं बिहार के नवादा जिले के लोहरपुरा पंचायत की वीणा देवी की, जिन्होंने रीयल लाइफ में ऐसा काम कर दिखाई है। उसकी यही साहस के कारण समाज में एक सशक्त महिला के रूप में पहचान बनाई। यही कारण है कि वह सामान्य सीट से दो बार लोहरपुरा पंचायत की मुखिया निर्वाचित हुई। हालांकि पिछली दफा मामूली मतों के अंतर से पराजित हो गई।
लेकिन वह समाज की जवाबदेही से नही हारी है। वह अब कमजोर महिलाओं की समस्याओं को लेकर सरकार, प्रशासन और प्रतिनिधियों के खिलाफ आवाज बुलंद करती है।
         यही वजह है कि 2007 में अतंरराष्टीय महिला दिवस के अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा दिल्ली में आयोजित अनन्या कार्यक्रम में वीणा के हौसले को सलाम किया गया।  उनके साहसिक पहल के लिए यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सम्मानित किया था। सोनिया ने कहा था कि वीणा इज द वेस्ट मुखिया आफ इंडिया। यही नहीं, तत्कालीन लोकसभा अघ्यक्ष सोमनाथ चटर्जी  भी वीणा को सम्मानित कर चुके हैं।। इसके पहले 2004 में सरोजनी नायडू पुरस्कार से वीणा सम्मानित हुई है।
          वीणा के संघर्ष को पाकिस्तान में भी सलाम किया गया। वीणा को पाकिस्तान के नेषनल रिकंस्ट्क्सन ब्यूरों के चेयरमैन मि डैनियल ने गुड गवर्नेंस के लिए सम्मानित किया। 1-3 जुलाई 2007 को लाहौर में आयोजित स्थानीय शासन व्यवस्था मंे भारत-पाकिस्तान वार्ता में भारत के 50 सदस्यी प्रतिनिधिमंडल में शामिल हुई थी। यही नहीं, जनप्रतिनिधियों को जागरूक करने के लिए भारत सरकार के निर्देश  पर गठित 21 सदस्यी बिहार की राज्य महिला कोर कमेटी में वीणा को शामिल किया गया।
            वीणा को उनके संघर्षों के कारण यह सम्मान दिया गया है। देखें तो, खगड़िया जिले के रानीसकरपुरा के पुनितलाल की 13 वर्षीय बेटी वीणा की शादी लोहरपुरा पंचायत के सिकन्दरा निवासी 45 वर्षीय रामप्यारे प्रसाद के साथ की गई थी। पुनितलाल की तीन बेटियां थी और वह टीबी से ग्रसित थे। दुर्भाग्य कि 16 वर्ष की आयु में वीणा विधवा हो गयी। उस समय वीणा को एक संतान था। लेकिन पति की मृत्यु के बाद वीणा के नवादा के मकान को किराएदार ने कब्जा कर लिया था।
          तब वीणा खुद आगे बढ़ी। स्थानीय प्रतिनिधि और अधिकारियों की मदद से किराएदार को भगाने में कामयाब रही। तब से वीणा की सामाजिक कार्यों में दिलचस्पी बढ़ गई। खुद स्वावलंबी होने के साथ दूसरों का संबल बनने लगी। मामूली पढ़ी लिखी वीणा आज महिलाओं के बीच मिसाल बन गई है। वीणा कहती हैं- महिला कमजोर नही है। हर महिलाओं में यह ताकत है, लेकिन जरूरत है अपनी ताकत की पहचान करने की।



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