Monday, 10 October 2016

पिता की मर्जी के विरूद्ध शिल्पी ने की पढ़ाई, अब उसे मिला यूरोप के सात देशों में रिसर्च का अवसर

अशोक प्रियदर्शी
 एक दशक पहले की बात है। खगड़िया की शिल्पी गुप्ता प्रथम श्रेणी से मैट्रिक पास की थी। वह आगे पढ़ना चाहती थी। लेकिन शिल्पी के पिता राजी नही थे। वह जल्दी शादी कर देना चाहते थे। इसलिए उन्होंने शादी भी तय कर दी थी। लड़केवाले को दिल्ली में शिल्पी को दिखाया गया। लेकिन दहेज की भरपाई नही कर पाए। इसलिए शिल्पी की शादी टूट गई। तब शिल्पी की उम्र बमुश्किल 16 साल थी।
लेकिन शिल्पी अब रिसर्च के लिए यूरोपीय देश जा रही है। यूनिवर्सिटी आॅफ ग्रनाडा ने यूरोपियन मास्टर्स डिग्री इन वोमेन एंड जेंडर स्टडीज जेमा के लिए शिल्पी का चयन किया है। दो साल के अंतराल में 49 हजार यूरो दिए जाएंगे। यह भारतीय मुद्रा करीब चालीस लाख रूपए है। शुरूआत में एक साल स्पेन में स्टडी करेगी। फिर रिसर्च के लिए कई यूरोपीय देश जाएगी। स्पेन, इटली, हंगरी, यूके, पोलैंड, नीदरलैंड और न्यू जर्सी यूनिवर्सिटी आॅफ ग्रनाडा के पार्टनर है।


आसान नही थी शिल्पी की राह
शिल्पी पढ़ाई करना चाहती थी। उसके पिता जल्दी शादी के पक्ष में थे। इसीबीच शिल्पी आइएससी कर ली। वह ग्रेजुएशन जेएनयू का इंट्रेंस एग्जाम दी थी। इसमें सफल हो गई थी। वह जाना चाहती थी। लेकिन पिता राजी नही थे। उसके पिता का मानना था कि बेटी की ज्यादा पढ़ाई के बाद उसकी शादी करना मुश्किल हो जाएगा। घर से बाहर बेटियों के लिए माहौल भी ठीक नही रहता। 
शिल्पी ने बताया कि मां चाहती थी, लेकिन उनके पास पैसे नही थे। इसलिए पिता की मर्जी के विरोध में वह दिल्ली पहुंच गई। स्काॅलरशिप का चार हजार रूपए थे। परिजन मान रहे थे कि पैसे खत्म हो जाएगा तब वापस लौट आउंगी। लेकिन ट्यूशन पढ़ाई। जम गई। तब परिजनों का रूख नरम पड़ा। वह स्पेनिश लैंग्वेज से पीजी तक पढ़ाई की। फिर एम.फील की। तभी यूनिवर्सिटी आॅफ ग्रनाडा ने रिसर्च के लिए विश्व स्तर पर 100 लोगों को चुना। इनमें दस का आखिरी रूप से चयन हुआ, जिसमें शिल्पी भी है।

शिल्पी ने परिवार को दिखाई राह
शिल्पी के परिवार में कोई पढ़ा लिखा नही था। शिल्पी के पिता संजय गुप्ता नाॅन मैट्रिक, मां अनुप्रिया देवी साक्षर, दादा साक्षर जबकि दादी निरक्षर थी। शिल्पी के मुताबिक, बेटियों को इंगलिश स्कूल में भी नही भेजा जाता था। मैट्रिक की पढ़ाई आखिरी था। इसके लिए सिर्फ पापा जिम्मेदार नही थे। सामाजिक परिवेश ऐसा था। लेकिन दादा उनके पक्षधर थे।
      खगड़िया के एसडीओ रोड निवासी शिल्पी ने इस परंपरा को तोड़ी। वह खुद आगे बढ़ी। दो बहनों और एक भाई का भी मददगार बनी। दिल्ली में रहकर शिखा बीएससी, जबकि शिवानी फ्रंेच से ग्रेजुएशन कर रही है। भाई आकाश बंगलोर के निजी कंपनी में एकाउंटेंट है। 
 
शिल्पी की दहेजरहित शादी
2015 में नवादा नगर के गोकुल प्रसाद के पुत्र सुशांत गौरव से दहेज रहित शादी की। शिल्पी और सुशांत का पसंद खुद का था। लेकिन शादी अरैंज मैरेज हुआ। सुशांत भी वेल्लौर स्पेनिश लैंग्वेज के प्रोफेसर हैं। संजय गुप्ता कहते हैं कि बेटी की सफलता पर फक्र है। शिल्पी ने अपने दृढ़ संकल्प से उनकी अवधारणा को निराधार कर दिया। बहनों और भाई के लिए तारणहार बनी। शिल्पी की सास प्रो प्रमिला कुमारी भी खुश हैं। प्रो प्रमिला कहती हैं कि उनकी बहू ने उनके परिवार के मान को बढ़ाई।

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