Tuesday 11 October 2016

सामाजिक तानाबाना पर केन्द्रित कहानियों का सग्रंह है बजरंगी

डाॅ. अशोक प्रियदर्शी
एक लड़की जो विवाह के पहले मां बन गई है। उस कुंवारी मां को समाज स्वीकारने को तैयार नही है। कुछ लोगों के पहल के बाद मुश्किल से उसकी शादी होती है। लेकिन उस गलती की पीड़ा उसे जीवन भर सताती है। ‘सुख की पीड़ा’ में ऐसी ही एक लड़की पर केन्द्रित कहानी है। साहित्यकार रामरतन प्रसाद सिंह रत्नाकर की नई पुस्तक ‘बजरंगी’ समाज के दस्तूर, नियम, परंपरा और संगठन पर केन्द्रित कहानियों का संग्रह है। इसमें ‘बजरंगी’ भी एक अलग कहानी है। यह गुरू-शिष्य परंपरा पर केन्द्रित है। इसमें एक लावारिस बच्चा आगे चलकर बड़ा संत बन जाता है, जो बजरंगी के नाम से जाना जाता है।
इस कहानीसंग्रह में फगुनी एक कहानी है। इसमें माउंटेनमैन दशरथ मांझी की पत्नी फगुनी पर केन्द्रित है। यह महिला प्रधान है। फगुनी में दशरथ मांझी के दामपत्य जीवन पर केन्द्रित कहानी है। किसानों के शोषण, दोहन के खिलाफ उठी आवाज -कोलहार- की कहानी में मिलता है। एक कहानी है साहेब। इसमें साहेब बनाने में माता-पिता और भाई अपनी आहूति दे दी है। लेकिन देशी मेम के कारण ये आहूति का मतलब बदल गया है। विदेशी साहेब और मेम के रास्ते पर चलनेवाले देशी साहेबों ओर मेम के आचरणों पर यह कहानी सवाल खड़ा कर रही है।
बदला नामक कहानी बदले का नया स्वरूप है। एक जमींदार के अत्याचार से लोग गांव छोड़ देते हैं। एक ग्रामीण सुलतान मियां कोलकाता जाता है। वह धनी हो जाता है। तबतक जमींदार की हालत खराब हो जाती है। सुलतान गांव आता है। वह जमींदार से मिलने उसके घर भी जाता है। जमींदार को चिंता होती है कि सुलतान बदला लेने तो नही आया। लेकिन सुल्तान दमड़ी से भरी अटैची जमींदार की बेटी को देते हुए उसे अच्छे परिवार में जाने का आशीर्वाद देता है। बजरंगी में ऐसी 13 कहानियां है। दहनी, प्रधानजी, सरहपाद की सरकण्डवी, सुजाता का हठ, नगरवधू, उम्मीदें, नौटंकीवाली जैसी कहानियां सामाजिक ताना बाना से जुड़ा है।

किताब का नाम- बजरंगी
लेखक- राम रतन प्रसाद सिंह रत्नाकर
प्रकाशक- किताब महल
मूल्य 125 रूपए
बिहार के नवादा जिले के वारिसलीगंज प्रखंड के मकनपुर गांव निवासी रत्नाकर की कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। संस्कृति संगम, आस्था का दर्शन, बलिदान, शहीद, बह्मर्षि कुल भूषण, लोक गाथाओं का सांस्कृतिक मूल्याकंन प्रमुख पुस्तक है।

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