Wednesday 1 October 2014

इन्द्रावती की पांच बेटियां, उसमें तीन पुलिस में


नवादा  की इन्द्रावती देवी की पांच बेटियां, जिसमें तीन बेटियां देश  की सुरक्षा में है, जबकि दो बेटियां अभी से ही हैंडबाॅल की राष्ट्रीय और प्रांतीय टीम में है। इन्द्रावती उन महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत  हैं, जो बेटियों के पैदा होने पर आंसू बहाती हैं।

डाॅ अशोक कुमार प्रियदर्शी 
            गांव देहात में एक कहावत है कि जिन माताओं की कोख से जितनी बेटियां होती है उस मां की कद उतना जौ की मात्रा भर छोटी हो जाती है। लेकिन यह कहावत तब कही जाती थी जब मां बेटियों को बोझ समझकर घर की देहरी में कैद रखती थी। लेकिन बिहार के नवादा जिला मुख्यालय के न्यू एरिया की इन्द्रावती की जितनी बेटियां है उतना ही उनका कद उच्चा हुआ है। इन्द्रावती की पांच बेटियां है, लेकिन इसमें तीन बेटियां देश की सुरक्षा में है।
              इन्द्रावती की जुड़वा बेटियां प्रियंका और प्रीति सीआईएसएफ की जीडी कंसटेबल के पद पर नौकरी कर रही है। जबकि प्रिंस इंडियन-तिब्बत बोर्डर पुलिस (आईटीबीपी) में है। फिलहाल, वह दिल्ली मेट्रो रेलवे कारपोरेशन में कार्यरत हैं। यही नहीं, उनकी दो छोटी बेटियां दिव्या (17) और अनामिका(15) भी कम नही है। दिव्या हैण्डबाॅल में तीन बार नेशनल खेल चुकी है और अनामिका पहला ही मौका में स्टेट चैम्पियन के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
           बेटियों की पढ़ाई और उसकी परवरिश  में खटाल चलानेवाले कमलेश  सिंह की आमदनी कम पड़ जाती थी। तीन कमरे के मकान बनाने में रिष्तेदारों से कर्ज लेने पड़े थे। लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई है। अब दो मंजिला मकान बन गया है। बेटियों की कामयाबी से इन्द्रावती काफी खुश  हैं। वह कहती हैं कि -मैं भगवान से प्रार्थना करती हूं कि अगले जनम में भी मुझे ऐसी ही बिटिया दीजिएगा। वह कहती है कि बेटियां उनकी थी लेकिन पीड़ा पड़ोसियों को होती थी।
           लेकिन वह इन चीजों का परवाह नही की। उनकी बेटियों के हौसले से आलोचना करने वाले बेटों की मां के कद भी छोटा दिखने लगा है। इन्द्रावती कहतीं हैं कि- बेटियों की कामयाबी से नही लगता कि उन्हें बेटा की कमी है। बेटियों ने अपने काम से जो सकून दिया है वह शायद वह  काहिल बेटा नही दे पाता, जो जीवन भर मां बाप के लिए परेशानी बना रहता है। लेकिन बेटियों ने अपने हौसले से उन्हें काफी ताकत दी है । प्रिंस कहती हैं कि रूपए के अभाव में परीक्षा के दौरान बाहर जाने पर मां को उपवास रहना पड़ जाता था।
           मुष्किलें यह थी कि प्रियंका और प्रीति सीआईएसएफ के लिए चुनी गईं थी तो ट्ेनिंग में छतीसगढ़ जाने के लिए किराए और ढंग के कपड़े के लिए भी सामाजिक कार्यकर्ताओं से मदद लेनी पड़ी थी। लेकिन इन्द्रावती के लिए यह अतीत है। प्रियंका और प्रीति कहतीं हैं कि ‘बचपन से ही इस वर्दी के प्रति आकर्षण था, जिसे हासिल कर ली है। अब इसके जरिए देश  की सेवा करने में  कोई कसर नही छोडू़गी। लेकिन यह सब उनके  मां और पिता के सहयोग के कारण हो सका है. थैंक यू मम्मी पापा।


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