डाॅ अशोक कुमार प्रियदर्शी
पत्रकार, संयोजक, विरासत बचाओ अभियान. बिहार


नवादा नगर के मध्य में अवस्थित नारदः संग्रहालय इसी मगघ बंग शैली का प्रतिनिधित्व करता हैं। यहां इस शैली की सैकड़ों मूर्तियां संग्रहित हैं। जिले के सोनूबिगहा से प्राप्त वासुकी की प्रतिमा, मड़रा से प्राप्त नरसिहं अवतार, मरूई से प्राप्त नटराज और बोधिसत्व की मूतियां कलात्मक और मूर्ति विज्ञान की दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। जिले के समाय, सिसवां, कोसला, पटवासराय, मरूई, महरावां, बेरमी और नरहट से प्राप्त विष्णु की मूर्तियां और मकनपुर से प्राप्त जांभल की मूर्ति अति दुलर्भ है।
गया जिले के हड़ाही से प्राप्त हिन्दू देवी कंकाली महिषामर्दिनि की प्रतिमा, कुर्किहार से प्राप्त पदमपाणि अवलोकितेष्वर तथा धुरियावां से प्राप्त बौद्विस्ट देवी हारीति की प्रतिमा अदभूत है। हिन्दू साइट से प्राप्त होने पर हिन्दू देवी मंजु़श्री और बौद्धिस्ट साइट से प्राप्त होने पर बोधिसत्व की पुष्टि करता है। संग्रहालय के दीर्घाकक्ष में प्रदर्शित अधिकांश बौद्ध मूर्तियां अभिलेखयुक्त है। इसके कारण मूर्तियों का विशेष महत्व है। यह संग्रहालय पूर्वी कला शैली पर अध्ययन करने वालों के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की पढाई शुरू करने वालों को अक्षर ज्ञान की जरूरत होती है। वरना इस संग्रहालय के मूर्तियां के अध्ययन के बिना पूर्वी कला शैली पर किए गए शोध को अधूरा माना जाएगा।
नवादा के समाय से प्राप्त हरिहर की प्रतिमा शैव और वैणव धर्म की एकता का प्रतिनिधित्व करता हैं। अतौआ, छतिहर और बेरमी से प्राप्त सूर्य की प्रतिमा पुरातत्व की दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। सूर्य की प्रतिमा की खासियत है की उनके पैर में जूते हैं। हिन्दू धर्म में सूर्य के पैर में जूते के बारे में धार्मिक मान्यता है कि भगवान सूर्य के खाली पैर देखने से अनिष्ट होता हैं। लिहाजा, पैर में जूता पहनाया गया है।
बता दें कि दुर्लभ कलावस्तुओं के संग्रह के लिए ख्यात नारदः संग्रहालय की स्थापना नवादा जिले के पहले जिलाधिकारी नरेन्द्र पाल सिंह के प्रयास से संभव हुआ था. उन्होंने बिखरी पड़ी मूर्तियों, पाण्डुलिपियों और कलाकृतियों को 1973 में एक टीन के सेड में संग्रह करने का काम शुरू किया था। जन सहयोग से शुरू किए गए संग्रह अभियान से यह संग्रहालय देश के महत्वपूर्ण संग्रहालयों में से एक बन गया है । इसका उदघाटन 2 मई 1974 को बिहार के तत्कालीन राज्यपाल आर डी भंडारी ने किया था।
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