Sunday 17 April 2016

रजरप्पा मंदिर होकर जाता है शराब का रास्ता

 अशोक प्रियदर्शी
            सड़क दुर्घटनाओं के कारण देवौर खूनी घाटी के रूप में जाना जाता रहा है। लेकिन बिहार में शराबबंदी के बाद देवौर का इलाका शराब मंडी का स्वरूप अख्तियार कर रहा है। बिहार की सीमा से करीब 500 गज की दूरी पर झारखंड के कालीमंडा में शराब की नई दुकान खुल रही है। इसकी तैयारी कर ली गई है। माल आवंटित होने का इंतजार है। लेकिन अवैध रूप से देसी-विदेशी की शराब की आपूर्ति हो रही है। गौरतलब हो कि देवौर घाटी झारखंड और बिहार को जोड़ती है। इसका करीब 20 किलोमीटर की परिधि है। इसका आधा हिस्सा बिहार और आधा हिस्सा झारखंड में है। 
            झारखंड से बिहार के जंगल और पठारी इलाका के जरिए बड़े पैमाने पर शराब की आपूर्ति हो रही है। टैंकलोरी, कोयला, गिटटी ढोनेवाले वाले वाहनों के जरिए शराब की आपूर्ति हो रही है। तीन दिन पहले यात्री बस से बैग में शराब लेकर आ रहे फतेहपुर निवासी पिंटू और गौतम को गिरफ्तार किया गया। बताया जाता है कि शराब कारोबारी जंगली इलाका के नक्सली से संपर्क में आ गए हैं। जिनके जरिए शराब मंगा रहे हैं। यह शराब खेतों में गाड़कर रखा जा रहा है। 
          यही नहीं, शराबबंदी के बाद शराबियों का एक वर्ग रजरप्पा मंदिर का रूख कर दिया है। नवादा नगर के एक शख्स बताते हैं कि एक पखवारा में दो बार रजरप्पा मंदिर हो आए हैं, जहां शराब पीने पर कोई पाबंदी नही है। रजरप्पा मंदिर में बकरे की बली होती है। जहां मांस के साथ शराब पीते हैं। देवघर, गिरिडीह और कोडरमा जानेवालों की तादाद बढ़ गई है। बासोडीह से भी नवादा में शराब की आपूर्ति हो जा रही है। झारखंड का इलाका शराबियों के लिए ‘तीर्थस्थल’ बनकर उभर रहा है।
         दरअसल, नवादा जिले का इलाका झारखंड से बेहद करीब है। जंगल और पठारी होने के चलते पुलिस भी लचर साबित होती है। रजौली से 25 किलोमीटर की दूरी पर कोडरमा और 33 किलोमीटर की दूरी पर झुमरी तिलैया है। कोडरमा से दो किलोमीटर पहले बागीटांड है। इन स्थानों पर लोग सहजता से शराब पी ले रहे हैं। उसके बाद वापस बिहार आ जा रहे हैं। जिले में महुआ शराब की खपत भी बढ़ गई है। 
         नशा के नये नये प्रयोग कर रहे हैं। रजौली के पसरैला में स्प्रिट से शराब बनाया गया था। इसे ग्रामीण मनोज राम को टेस्ट के लिए दिया गया था। लेकिन उसके आंख की रोशनी चली गई। उसके बाद उसकी मौत हो गई। इस सिलसिले में शराब निर्माता रंजीत सिन्हा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है।
 
जंगली इलाका महुआ शराब निर्माण का सुरक्षित ठिकाना
नवादा जिले के रजौली, सिरदला, गोविंदपुर और कौआकोल के जंगली और पठारी इलाका अवैध शराब निर्माण के लिए ख्यात रहा है। बताया जाता है कि स्थल बदल गया है। लेकिन शराब निर्माण का धंधा बंद नही हुआ है। फुलवरिया जलाशय के उसपार का इलाका काफी ख्यात है। चुनाव के समय में भी पुलिस इस इलाका में नही जाते। यही कारण है कि इन इलाकों में सरकारी दुकान भी कम आवंटित होती थी। 134 दुकानें स्वीकृत थी, लेकिन 80 दुकानें ही चलती थी। 


क्या कहते हैं उत्पाद अधीक्षक 
 उत्पाद अधीक्षक प्रेम कुमार कहते हैं कि झारखंड के सीमावर्ती नवादा जिले में निगरानी पर विशेष नजर रखी जा रही है। पुलिस वाहनों की जांच कर रही है। इसमें पकड़े जानेवालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। शराबबंदी अभियान को सफल बनाना विभाग की प्राथमिकता है।
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