अशोक प्रियदर्शी
पूर्व मंत्री आदित्य सिंह की गिनती दबंग लीडर में की जाती रही। अब वह जीवित नही हैं। हालांकि उनके नाम की चर्चा अब भी कम नही है। 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव के पहले आदित्य सिंह और उनके पुत्र हत्या मामले में सजायाप्ता हो गए थे। तब कांग्रेस ने हिसुआ से पूर्वमंत्री की पुत्रवधू नीतु कुमारी को उम्मीदवार बनाया।
इसी तरह, अखिलेश सिंह की बाहुबली छवि रही है। दर्जनों मामले के कारण कांग्रेस अखिलेश खुद चुनाव नही लड़ सकता था। लिहाजा, अखिलेश की पत्नी अरूणा देवी को अवसर मिला। सांसद पप्पू यादव जब सीपीएम विधायक अजीत सरकार हत्याकांड में सजायाप्ता हो गए थे। चुनाव नही लड़ सकते थे तब कांग्रेस ने उनकी पत्नी रंजीता रंजन को अवसर दिया था। पप्पू अब बरी हैं। डीएम जीकृष्णैया हत्याकांड के आरोपी पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को आलम नगर से अवसर दिया।

भाजपा ने एमएलए जनार्दन यादव को बेटिकट कर दिया। उनके स्थान पर दिवंगत बाहुबली विधायक भगवान यादव की विधवा देवयंती यादव को नरपतगंज से उम्मीदवार बनाया। दरअसल, राजनीति और अपराध के बीच गहरा नाता रहा है। इसमें अपवाद बहुत कम है।
महिला ज्ञान विज्ञान समिति की प्रदेश उपाध्यक्ष पुष्पा कहतीं हैं कि वामदलों को छोड़ दें तो कोई भी सियासी दल महिलाओं के प्रति सजग नही हैं। उन महिलाओं को राजनीति में आने का अवसर दिया जाता है जो प्रभावशाली, दबंग और बाहुबली परिवार से आते हैं। सक्रिय महिला कार्यकर्ता इससे वंचित रह जाती हैं। इसमें कोई बड़ा और छोटा नही है।
क्षेत्रीय दलों ने बाहुबलियों को चुनाव नही लड़ने की लाचारी को उनकी पत्नी को उतार कर इस गैप को भरने की कोशिश करते रहे हैं। अवधेश मंडल कोसी क्षेत्र में फैजान गिरोह का सरगना माना जाता रहा है। वह खुद चुनाव नही लड़ सकता। लिहाजा, उनकी पत्नी बीमा भारती को रूपौली से जदयू ने टिकट दिया था।
बाहुबली बुटन सिंह की विधवा लेसी सिंह को धमदाहा से उम्मीदवार उतारा। खगड़िया सीट की कमान दूसरी बार विधायक पूनम देवी को दी गई। पूनम बाहुबली पूर्व विधायक रणवीर यादव की पत्नी हैं। रणवीर सजायाप्ता हैं। वह चुनाव नही लड़ सकते थे।
लालगंज के बाहुबली विधायक विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला को दोषी करार दिए जाने के बाद चुनाव नही लड़ सकते थे। तब जदयू ने उनकी पत्नी अन्नू शुक्ला को उम्मीदवार बनाया।रून्नीसैदपुर से बाहुबली राजेश चैधरी की विधायक पत्नी गुडडी चैधरी और गोविन्दगंज से विधायक मीना द्विवेदी अवसर दिया गया। मीना बाहुबली दिवंगत पूर्व विधायक देवेन्द्रनाथ दूबे की भाभी हैं।
राजद ने भी बाहुबलियों के लाचार हो जाने पर उनकी पत्नियों को टिकट दिया है। पूर्व विधायक पप्पू खां जब सजायाप्ता हो गए थे तब उनकी पत्नी आफरीन सुल्ताना को बिहारशरीफ से अवसर दिया। इसी तरह राजेन्द्र यादव सजायाप्ता हो गए तब उनकी पत्नी कुंती देवी को अतरी से अवसर दिया गया।
लोजपा भी लाचार बाहुबलियों की जगह उनके परिजनों को अवसर दिया। पूर्वमंत्री बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड में सुरजभान सिंह सजायाप्ता हो गए थे। तब उनके शागिर्द ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी को अवसर दिया गया। लोजपा ने जमालपुर मोस्ट वांटेड रहे कृष्णानंद यादव की पत्नी साधना देवी को अवसर दिया। लोजपा ने जेल में बंद बाहुबली पूर्व विधायक रणवीर यादव की पत्नी पूनम देवी के मुकाबले उसी परिवार के भरत यादव की पत्नी सुशीला देवी को खगड़िया उम्मीदवार बनाया था।
यही नहीं, बसपा, राष्ट्वादी कांग्रेस पार्टी समेत कई दलों में भी ऐसे महिला उम्मीदवार उतारे गए जिनके पति चुनाव नही लड़ सकते थे। जिन्हें
दलों ने तवज्जों नही दिया। तब बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में अपनी पत्नी को उतार दिया। नरसंहारों के आरोपी पिंटू महतो ने पत्नी रिकूं देवी को शेखपुरा से निर्दलीय उतार दिया।
राबड़ी देवी भी लाचारी में बनी मुख्यमंत्री
राजद प्रमुख लालू प्रसाद जब चारा मामले में जमानत के लिए रांची कोर्ट में सरेंडर करनेवाले थे तब राबड़ी देवी को राजनीति में उतारा गया। 2014 के पहले राजद प्रमुख लालू प्रसाद चारा घोटाला में सजायाप्ता कर दिए गए। तब सारण सीट से राबड़ी देवी को उम्मीदवार बनाया गया था।
राजद नेत्री कांति सिंह इंजीनियर केशव कुमार सिंह की पत्नी है। केशव इंजीनियर की नौकरी नही छोड़ सकते थे। इसलिए कांति को अवसर मिला। सिवान के पूर्व सांसद शहाबुददीन सजायाप्ता हो गए। इसलिए हीना राजनीति में आ सकीं।
बांका की भाजपा नेता पुतुल कुमारी के पति दिग्विजय सिंह की आकस्मिक मौत हो गई। रमा सिंह के मंत्री पति बृजबिहारी प्रसाद की हत्या कर दी गई। इसके चलते राजनीतिक दलों ने पुतुल और रमा को अवसर दिया। लोजपा नेता सुरजभान सिंह सजायाप्ता हो गए। तब पत्नी वीणा चुनाव में आईं।
आप नेत्री परवीन अमानुल्लाह के पिता शैयद शहाबुददीन सांसद थे। पति अफजल अमानुल्लाह आइएएस अधिकारी हैं। जदयू नेत्री मीणा सिंह बिस्कोमान के चेयरमैन रहे दिवंगत कांग्रेसी नेता तपेश्वर सिंह की पुत्रवधू हैं। 15वीं लोकसभा के अध्यक्ष रही मीरा कुमार पूर्व उपप्रधानमंत्री जगजीवन राम की पुत्री हैं।
33 फीसदी भागीदारी बड़ा सवाल
बिहार विधानसभा के 243 सीटों में 34 महिलाएं हैं। हालांकि 1957 के बाद यह दूसरा मौका है जब इतनी महिलाएं हैं। 2010 में 243 सीटों के लिए 3523 उम्मीदवार थे। इनमें सिर्फ 308 महिलाएं थी। बीजेपी ने 24, जेडीयू ने 12, कांग्रेस 36, आरजेडी-एलजेपी 16, भाकपा माले 11, सीपीआई 3 और सीपीएम 2 महिलाओं को मौका दिया।
1952 से 2010 तक 1612 महिलाओं को अवसर दिया गया, जिनमें 253 निर्वाचित र्हुइं। पंचायतों में आधी सीट देनेवाला राज्य बिहार में महिला विधायक देने में तीसरे स्थान पर है। 28 विधानसभाओं के 4030 सदस्यों में महज आठ फीसदी एमएलए महिला हैं।
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