अशोक प्रियदर्शी

नरेंद्रपाल की पांच पेटिंग्स- बैलगाड़ी की विदाई, वट सावित्री पूजा, हैंडमील (जाता), निर्वाण और प्रकृति को शामिल किया गया है। चीन और जापान की तरफ से पुराने मूर्तिकला और पंेटिग्स को प्रदर्शित किया गया है। इतना ही नही, नेशनल गैलरी के कलेक्शन में नरेंद्रपाल के पेंिटग को शामिल किया गया है। इसके पहले भारत के एमएस हुसैन, चित प्रसाद और गायटोंडे के पेटिंग्स शामिल था।
विनोद भारद्धाज इस प्रदर्शनी के क्यूरेटर हैं।
नरेंद्रपाल मानते हैं कि लटुस्का की मैनेजिंग डायरेक्टर सरका लिटनोवा जी के योगदान के कारण यह संभव हुआ है। देखें तो, इसके पहले नरेंद्रपाल अमेरिका के सिकागो, जर्मनी के बर्लिन, स्पेन के वार्सिलोना, साउथ कोरिया के भूसान में प्रदर्शनी लगा चुके हैं। चेक गणराज्य के बाद जापान के ओसाका और क्योटो में प्रदर्शनी लगाने की योजना है।
नरेंद्रपाल की खासियत
नरेंद्रपाल अमूर्तन चित्रशैली की अमिट छाप छोड़ी है। इसमें सिंबल यानि संकेत के जरिए चित्रित किया गया है। इसका दृष्टिकोण नाम दिया गया। नरेंद्रपाल ने सर्कस, नायिका, लुकिंग ग्लास जैसे दर्जनों सीरिज के जरिए देश दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। इटली के फ्रेड्रिको फैलिनी पर आधारित ला-डोक्चे-बिटा यानि स्वीट लाइफ पर उनकी चित्रकारी काफी ख्याति दिलाई।
बहरहाल, नरेंद्रपाल दी रिमेंस आॅफ ऐस्टरडे (कल का अवशेष) नाम से सीरिज पर काम कर रहे हैं। नरेंद्रपाल कहते हैं कि देश और दुनिया की विस्मृत हो रही चीजों को चित्र के जरिए बनाने रखने की कोशिश की जा रही है। बदले समय में स्वरूप बदला है लेकिन नींव नही।
सम्मानित
नरेंद्रपाल को बिहार के खेल, युवा और संस्कृति मंत्रालय ने वरिष्ठ चित्रकार राधामोहन प्रसाद आवाॅर्ड से सम्मानित करने की घोषणा की है। 2005 में एकरीलिक पेंिटग के लिए नार्थन रिजन अवार्ड मिला। बिहार यंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने बिहार श्री का अवार्ड दिया। वह आॅल इंडिया पेंटिंग जज कमेटी के मेंबर रहे हैं। ऐसे सम्मानों की सूची लंबी है।



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