Friday 8 May 2015

मैं नहीं चाहता कि मेरा बेटा खेती करे

डॉ अशोक कुमार प्रियदर्शी 
बिहार के नवादा जिले के सदर प्रखंड के रामशरण यादव के दो पुत्र हैं। एक बेटी है। दो पुत्रवधू हैं। दो पोतियां है। रामशरण के एक पुत्र अविनाश बीए आॅनर्स कर लिया है, जबकि दूसरा पुत्र अभिषेक बीए में पढ़ाई कर रहा है। बेटी शालिनी इंटर तक पढ़ाई की है। रामशरण की पत्नी अनिता समेत परिवार में कुल आठ सदस्य हैं। मुश्किल कि आठ सदस्यीय रामशरण के परिवार के परवरिश के लिए एक विगहा जमीन है। उसमें भी सुखाड़ की स्थिति आने पर मुश्किलें बढ़ जाती है।
       हालांकि गांव के बीच से एक नहर गुजरी है। लेकिन ठेकेदार ने नहर की खुदाई में किसान के बजाय अपना हित देखा। जमीन से काफी नीचे खुदाई करा दिया जिसके चलते नहर का पानी खेतांे में नही पहुंच पाता है। गांव में बिजली पहंुची है। लेकिन विधुत विभाग की कथित मनमानी के कारण किसान पंपसेट के लिए बिजली का कनेक्शन लेने से परहेज करते हैं। रामशरण बताते हैं कि तीन माह एक बल्ब का 1180 रूपए का बिजली बिल दिया गया है। अब यह कनेक्शन भी कटवाने की सोच रहा हूं।
       रामशरण मानते हैं कि किसानों का कोई मददगार नही है। सरकार किसानों के लिए घोषणाएं करती रही है। योजनाएं भी चलाई जा रही है। लेकिन इसका लाभ किसानों को नही मिल पाता। वह कहते हैं कि किसानों को लोन के लिए किसान के्रडिट कार्ड की व्यवस्था की गई है। तीन साल पहले 50 हजार रूपए लोन के लिए आवेदन किया था। 45 हजार स्वीकृत हुआ। लेकिन उसमें से पांच हजार रूपए बिचैलिए ने ले लिया। लेकिन उन्हें 45 हजार रूपए ब्याज के साथ लोन की राशि किस्त में जमा करना पड़ा। इसलिए अब लोन लेने से भी परहेज करता हूं।
       किसानों के फसलों का बीमा भी नही होता। नही समय पर उचित कीमत पर खाद मिलता है। इससे भी मुश्किल कि उनकी उपज का उचित कीमत भी नही मिल पाता है। रामशरण बताते हैं कि सरकारी स्तर पर 1660 रूपए क्विंटल धान खरीद की जाती है, लेकिन उन्हें दुकानदार के यहां 1200 रूपए क्विंटल धान बेचना पड़ा। किसानों से धान खरीद में काफी अड़चन पैदा किया जाता है। लेकिन बिचैलिए के धान को आराम से खरीद लिया जाता है।
       रामशरण कहते हैं कि कोई भी सरकार अपनी भाषण में किसानों की बात करती है, लेकिन किसानों की परेशानी के निबटारे के लिए कोई ठोस कदम नही उठाता। वह कहते हैं कि किसानों को सिचाईं का साधन, बिजली की मुफत आपूर्ति, समय पर खाद बीज की उपलब्धता, किसानों के उपज की सही कीमत मिले तो कोई मुश्किल नही है। लेकिन यह परेशानी नही सरकार और नही अधिकारियों को दिखता है। हालांकि वह मुश्किल परिस्थितियों से निबटने के लिए शब्जी उगाते हैं, जिससे उन्हें कुछ राहत मिल जाती है। बेटे की पढ़ाई और बेटी की शादी में खेत बेचनी पड़ी है। वह कहते हैं कि मैं नहीं चाहता कि मेरा बेटा खेती करे .



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