Friday 8 May 2015

जीवन के आखिरी दौर में पहुँच गए , लेकिन नहीं सुधरी सिचाई की समस्या


डॉ अशोक कुमार प्रियदर्शी


उनके पास तीन विगहा जमीन है। लेकिन उस जमीन से उनके पूरे परिवार का परवरिश नही हो पाता। क्योंकि पटवन की व्यवस्था नही रहने से उनकी फसल मारी जाती है। उन्हें किसी तरह का मदद भी नही मिल पाता। उनकेे परिवार में 18 सदस्य हैं। लिहाजा, 70 की उम्र में भी उन्हें खेती करने की मजबूरी है। हम बात कर रहे हैं बिहार के नवादा जिले के सदर प्रखंड के देदौर गांव निवासी डोमन पंडित की। पंडित कहते हैं कि सरकार उम्मीद जरूर जगाती है, लेकिन उनसबों के नसीब में हल और कुदाल ही है। सरकार की जो योजनाएं चलती भी है उसका ज्यादातर लाभ गैर किसान और अधिकारी को मिलता है।


डोमन पंडित मानते हैं कि किसानों की एकमात्र समस्या सिचाई की है। इसका समाधान हो जाय तो उनसबों की बदहाली दूर हो सकती है। अब जीवन के आखिरी पड़ाव में है, लेकिन समस्या जस की तस है। वैसे गांव में बिजली पहुंची है। लेकिन विभाग कभी फसल उत्पादन के समय बिजली नही देती। लेकिन बिल उनका चलता रहता है। लिहाजा, गांव में बिजली रहने के बावजूद ज्यादातर किसानों ने पंपसेट के लिए बिजली कनेक्शन नही लिया। खाद, बीज और कृषि उपकरण वितरित किए जाते हैं, लेकिन इसका लाभ उन किसानों को नही मिल पाता।


वह कहते हैं कि सुखाड़ की स्थिति में भूखमरी की नौबत आ जाती है। ऐसे में खेती छोड़कर मजदूरी करनी पड़ती है। खेती से बचे समय में उनके दो बेटे राजमिस्त्री का काम करते है। इससे परिवार का गुजारा हो रहा है। सरकार से लोन लेने में भी काफी परेशानी है। इसलिए जरूरत पड़ने पर महाजन से तीन रूपए प्रति सैकड़ा प्रति माह की दर से ब्याज पर लेकर काम चलाते हैं। दो बेटियों की शादी महाजन से लोन लेकर किया। बाद में मजदूरी कर उस लोन की भरपाई की।

No comments:

Post a Comment