Monday, 30 March 2015

कचहरिया-पहले मां-बाप हुए, फिर बेटे और अब बछड़ा हुआ विकलांग

डॉ. अशोक कुमार प्रियदर्शी
 बात 15 दिन पहले की है। नवादा जिले के रजौली के कचहरियाडीह निवासी कारू राजवंशी के गाय ने एक बछड़े को जन्म दिया। लेकिन वह बछड़ा विकलांग पैदा हुआ। दूषित जल के सेवन की भयावहता का यह ताजा कड़ी है। दूषित जल के सेवन से डेढ़ दशक पहले कारू और उसकी पत्नी विकलांग हो गई थी। उनके दो स्वस्थ्य पुत्र पैदा हुए। लेकिन दस साल की उम्र में ही उन्के पुत्र शिवबालक(16 वर्ष) और गोवर्धन (14 वर्ष) विकलांग हो गए। तीन साल पहले कारू ने एक गाय खरीदी थी। लेकिन अब जब गाय ने बछड़े को जन्म दिया तो वह विकलांग पैदा हुआ।
दरअसल, विकलांगता की यह समस्या सिर्फ कारू परिवार तक सीमित नही है। कचहरियाडीह के शत प्रतिशत लोगों की कहानी है, जो विकलांगता का अभिशाप झेल रहे हैं। किसुन भूइयां का 20 वर्षीय पुत्र संतोष विकलांगता के शिकार का मिसाल है। उसका पूरा शरीर टेड़ा और चौकोर हो गया है। उसकी हालत बुढ़ापे जैसी हो गई है। यही नहीं, कपिल राजवंशी, पंकज, विमला, ममता, नरेश, सरोज, पूजा, संगीता, सुशील जैसे दर्जनों ग्रामीण है, जिनका जीवन नारकीय बना है। भयावहता के कारण रामबालक राजवंशी, अमीरक राजवंशी जैसे कई ग्रामीणों ने गांव छोड़ दिया है। 

भयावहता का अंदाजा
तीन दशक पहले सोहदा गांव निवासी इश्वरी यादव कचहरियाडीह गांव में आकर बसे थे। लेकिन 55 वर्षीय ईश्वरी परिवार के पूरे परिवार विकलांगता के शिकार हो गए हैं। ईश्वरी के पिता बुलक यादव, मां सरिता देवी, पत्नी अकली देवी, बेटे राजेश, रूपेश और बेटी सीमा विकलांगता की शिकार हैं। रूपेश की हालत दयनीय हो गई है। वह खाट पर से भी नही उठ पाता है। ईश्वरी कहते हैं कि पटना में इलाज कराया लेकिन स्वस्थ्य नही हो पाया। वह कहते हैं कि बाहर नही जा सकते। दूसरा कोई चारा नही है। विकलांग परिवार का परवरिश बाहर कर पाना संभव नही है।

क्या है वजह
प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ शत्रुधन प्रसाद सिंह कहते हैं कि आमतौर पर पानी में डेढ. फीसदी फलोराइड की मात्रा पाई जाती है। लेकिन जांच में कचहरियाडीह गांव में आठ फीसदी फलोराइड की मात्रा पाई गई है। लिहाजा, ग्रामीण फलोरोसिस नामक रोग के शिकार हो जाते हैं। इस रोग से बच्चों का अंग टेड़ा होने लगता है। हडिया चौकोर होने लगती है। 15-16 साल की अवस्था में ही लोग बुढ़ापा का अनुभव करने लगते हैं। कचहरियाडीह फुलवरिया जलाशय के समीप है। बताया जाता है कि जलाशय में एकत्रित जल के कारण कचहरियाडीह का भूजल स्तर दूषित हो गया है। इसका दूरगामी परिणाम के रूप में यह रोग सामने आया है।

क्या है बंदोवस्त
हालांकि इस रोग से बचाव के लिए हरदिया पंचाचत में पानी टंकी का निर्माण कराया गया है। प्रभावित ग्रामीणों को विस्थापित भी किया गया है। लेकिन गांववालों की परेशानी थमने का नाम नही ले रहा है। लोकस्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के कार्यपालक अभियंता प्रदुम्न शर्मा कहते हैं कि ग्रामीणों को शुद्ध पानी की व्यवस्था कराई जा रही है। पानी की गुणवता की जांच की जाती है। जरूरत पड़ने पर मीडिया चेंज किया जाता है ताकि ग्रामीणों को नियमित रूप से शुद्ध जल उपलब्ध कराया जा सके।

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