- अशोक प्रियदर्शी
- Jan 15, 2015, 10:34 AM IST
विगत9 जनवरी की घटना है। नवादा जिले के हिसुआ थाना के धमौल मोड़ के समीप मैजिक सवारी गाड़ी
और मोटरसाइकिल की टक्कर में चालक समेत तीन लोगों की मौत हो गई। इस घटना में तीन परिवारों को
जिंदगी भर का गम मिला। नवादा के लिए यह पहली घटना नहीं है। जागरूकता के अभाव, तेज गति से वाहनों के परिचालन और प्रशासनिक उदासीनता के कारण इसे आखिरी भी नहीं कहा जा सकता। यही वजह है कि सड़क दुर्घटना के मामले में नवादा बिहार का प्रमुख खतरनाक जोन बना है।
2014 में 146 लोगों की मौत सड़क दुर्घटना के कारण हुई है। पिछले पांच सालों में 726 लोगों की मौतें हुई
हैं। देखें तो औसतन हर साठ घंटे पर एक व्यक्ति की मौत सड़क दुर्घटना में हो रही है। इसके लिए पटना-रांची
एनएच-31 का देबौर का इलाका काफी खतरनाक है। यही वजह है कि झारखंड की सीमा से सटे रजौली के देबौर
को लोग खूनी घाटी कहते हैं। नवादा- गया, हिसुआ-राजगीर, नवादा-वारिसलीगंज और नवादा-जमुई और
कौआकोल पथ भी ऐसे हादसे से अछूता नहीं है।
बहरहाल, 11 से 17 जनवरी तक सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जा रहा है। लेकिन यह खानापूर्ति से अधिक कुछ
बहरहाल, 11 से 17 जनवरी तक सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जा रहा है। लेकिन यह खानापूर्ति से अधिक कुछ
नहीं है। जिलाधिकारी ललनजी ने कहा कि सोच बदलने से ही जमाने में बदलाव होगा। यातायात नियमों का
हर हाल में पालन होना चाहिए। जागरूकता अभियान के बावजूद नहीं चेतते लोग, होते हैं हादसे।
सड़क हादसों में मौत
2014-146
2013-162
2012-126
2011-152
2010-140
कुल-726
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