विजयदशमी का त्योहार बुराईयों पर अच्छाईयों का प्रतीक माना जाता है। प्रतिकात्मक रूप से सार्वजनिक तौर पर राम के जरिए रावण का वध किया जाता है। लेकिन बिहार में दशहरा के दिन पटना गांधी मैदान में रावण दहन कार्यक्रम के दौरान रावण का पुतला जरूर जले। लेकिन सरकार की लापरवाही के कारण यहां मौत राम की हुई है। अधिकारिक तौर पर 32 लोगों की मौत हो गई, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। इसमें ज्यादातर महिला और बच्चे हैं।
डाॅ अशोक कुमार प्रियदर्शी
विजयदशमी का त्योहार बुराईयों पर अच्छाईयों का प्रतीक माना जाता है। प्रतिकात्मक रूप से सार्वजनिक तौर पर राम के जरिए रावण का वध किया जाता है। लेकिन बिहार में दशहरा के दिन पटना गांधी मैदान में रावण दहन कार्यक्रम के दौरान रावण का पुतला जरूर जले। लेकिन सरकार की लापरवाही के कारण यहां मौत राम की हुई है। अधिकारिक तौर पर 32 लोगों की मौत हो गई, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। इसमें ज्यादातर महिला और बच्चे हैं।
देखें तो, गांधी मैदान में रावण के पुतलादहन का कार्यक्रम था। यह मुख्यमंत्री की उपस्थिति में किया गया। लेकिन रावण दहन के बाद जब भीड़ की निकलने की बारी थी तो जिसके चार में से तीन गेट बंद थे। एक गेट से निकास की व्यवस्था थी। इसी दौरान एक्जीविशन रोड में अफवाह फैली कि बिजली तार गिर गई। अफरातफरी मच गई। लेकिन अंधेरा के कारण स्थिति और भी भयावह हो गई। लिहाजा, बड़ी घटना का गवाह बन गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, ट्रैफिक व्यवस्था भी लचर थी। गेट भी अफरातफरी के बाद खोला गया। घायलों के इलाज में भी काफी परेशानी हो रही है। ज्यादातर डाॅक्टर छुटटी पर हैं। ऐसे में पीड़ितों के परिजनों की परेशानी बढ़ी है। ऐसे में मृतकों की संख्या और भी बढ़ने की आशंका है। चिंता कि इस भीड़ में कितने राम खो गए हैं। परिजनों का हाल बुरा है। लोग अपने अपने राम को ढूढ़ रहे हैं।
ताज्जुब कि स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह कहते हैं कि यह घटना गांधी मैदान में नही घटी है। यह घटना एक्जीविशन रोड में घटी है। वह आज गांव मंे है। वह शनिवार को पटना आकर स्थिति का आकलन करने की बात कही है। सवाल है कि एक्जीविशन रोड बिहार में नही है क्या। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी बैठक करने में जुटे हैं.
दरअसल, बिहार में लापरवाही की यह घटना कोई नया नही है। 27 अक्तूबर 2013 को पटना गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी की सभा में बम विस्फोट की घटना हुई थी। इस घटना में आधे दर्जन लोगों की मौत हो गई थी। दर्जनों लोग घायल हुए थे। इसके पहले 19 नवंबर 2012 को पटना में छठ पूजा के दौरान ऐसा ही भगदड़ मची थी, जिसमें डेढ़ दर्जन से ज्यादा की मौत हो गई थी। 1995 में दानापुर में छठ पूजा के दौरान पांच दर्जन लोगों की मौत हो गई थी।
राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। मुआवजा की औपचारिकता हो रही है। लेकिन सवाल है कि क्या उस राम का जीवन फिर से लौट पाएगा, जिसने रावण दहन देखने आया था। यह किसकी चूक है। इस घटना का कौन रावण है? यह बड़ा सवाल है।
डाॅ अशोक कुमार प्रियदर्शी
zee news website |
देखें तो, गांधी मैदान में रावण के पुतलादहन का कार्यक्रम था। यह मुख्यमंत्री की उपस्थिति में किया गया। लेकिन रावण दहन के बाद जब भीड़ की निकलने की बारी थी तो जिसके चार में से तीन गेट बंद थे। एक गेट से निकास की व्यवस्था थी। इसी दौरान एक्जीविशन रोड में अफवाह फैली कि बिजली तार गिर गई। अफरातफरी मच गई। लेकिन अंधेरा के कारण स्थिति और भी भयावह हो गई। लिहाजा, बड़ी घटना का गवाह बन गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, ट्रैफिक व्यवस्था भी लचर थी। गेट भी अफरातफरी के बाद खोला गया। घायलों के इलाज में भी काफी परेशानी हो रही है। ज्यादातर डाॅक्टर छुटटी पर हैं। ऐसे में पीड़ितों के परिजनों की परेशानी बढ़ी है। ऐसे में मृतकों की संख्या और भी बढ़ने की आशंका है। चिंता कि इस भीड़ में कितने राम खो गए हैं। परिजनों का हाल बुरा है। लोग अपने अपने राम को ढूढ़ रहे हैं।
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दरअसल, बिहार में लापरवाही की यह घटना कोई नया नही है। 27 अक्तूबर 2013 को पटना गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी की सभा में बम विस्फोट की घटना हुई थी। इस घटना में आधे दर्जन लोगों की मौत हो गई थी। दर्जनों लोग घायल हुए थे। इसके पहले 19 नवंबर 2012 को पटना में छठ पूजा के दौरान ऐसा ही भगदड़ मची थी, जिसमें डेढ़ दर्जन से ज्यादा की मौत हो गई थी। 1995 में दानापुर में छठ पूजा के दौरान पांच दर्जन लोगों की मौत हो गई थी।
राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। मुआवजा की औपचारिकता हो रही है। लेकिन सवाल है कि क्या उस राम का जीवन फिर से लौट पाएगा, जिसने रावण दहन देखने आया था। यह किसकी चूक है। इस घटना का कौन रावण है? यह बड़ा सवाल है।
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